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पाठ – 5

यायावर साम्राज्य

यायावर साम्राज्य की अवधारणा विरोधात्मक प्रतीत होती है, क्योंकि यायावर लोग मूलतः घुमक्कड़ होते हैं। मध्य एशिया के मंगोलों ने पार महाद्वीपीय साम्राज्य की स्थापना की और एक भयानक सैनिक तंत्र और शासन संचालन की प्रभावी पद्धतियों का सूत्रपात किया।

यायावर समाजों के ऐतिहासिक स्त्रोत :-

  • इतिवृत, यात्रा वृतांत नगरीय सहित्यकारों के दस्तावेज। कुछ निर्णायक स्त्रोत हमें चीनी, मंगोली, फारसी और अरबी भाषा में भी उपलब्ध है।
  • हम चीनी, मंगोलियाई, फारसी, अरबी, इतालवी, लैटिन, फ्रेंच और रूसी स्रोतों से पारगमन मंगोल साम्राज्य के विस्तार के बारे में सबसे महत्वपूर्ण जानकारी पाते हैं।

मध्य एशिया के यायावर साम्राज्य की विशेषताएँ :-

  • इन्होने तेरहवीं और चौदहवीं शताब्दी में पारमहाद्वीपीय साम्राज्य की स्थापना चंगेज़ खान के नेतृत्व में की थी।
  • उसका साम्राज्य यूरोप और एशिया महाद्वीप तक विस्तृत था।
  • कृषि पर आधरित चीन की साम्राज्यिक निर्माण – व्यवस्था की तुलना में शायद मंगोलिया के यायावर लोग दीन – हीन, जटिल जीवन से दूर एक सामान्य सामाजिक और आखथक परिवेश में जीवन बिता रहे थे लेकिन मध्य – एशिया के ये यायावर एक ऐसे अलग – थलग ‘ द्वीप ‘ के निवासी नहीं थे जिन पर ऐतिहासिक परिवर्तनों का प्रभाव न पड़े।
  • इन समाजों ने विशाल विश्व के अनेक देशों से संपर्क रखा, उनके ऊपर अपना प्रभाव छोड़ा और उनसे बहुत वुफछ सीखा जिनके वे एक महत्वपूर्ण अंग थे।

बर्बर :-

‘ बर्बर ‘ शब्द यूनानी भाषा के बारबरोस शब्द से उत्पन्न हुआ है जिसका तात्पर्य गैर – यूनानी लोगों से है।

मंगोलों की सामाजिक स्थिति :-

  • मंगोल समाज में विविध सामाजिक समुदाय थे। जिसमें पशुपालक और शिकारी संग्राहक थे।
  • पशुपालक समाज घोड़ों, भेड़ और ऊँटों को पालते थे।
  • पशुपालक मध्य एशिया की घास के मैदान में रहते थे। यहाँ छोटे – छोटे शिकार उपलब्ध थे।
  • शिकारी संग्राहक साईंबरियाई वनों में रहते थे तथा पशुपालकों की तुलना में गरीब होते थे।
  • चारण क्षेत्र में साल की कुछ अवधि में कृषि करना संभव, परन्तु मंगोलों ने कृषि को नहीं अपनाया।
  • वह आत्मरक्षा और आक्रमण के लिए परिवारों तथा कुलों के परिसंघ बना लेते थे।
  • वे लोग पशुधन के लिए लूटमार करते थे एवं चारागाह के लिए लड़ाइया लड़ते थे।

मंगोलों के सैनिक प्रबंधन की विशेषताएँ :-

  • मंगोल सैनिकों में प्रत्येक सदस्य स्वस्थ, व्यस्क और हथियारबंद घुड़सवार दस्ता होता था |
  • सेना में भिन्न – भिन्न जातियों के संगठित सदस्य थे।
  • उनके सेना तुर्की मूल के और केराईट भी शामिल थे।
  • उनकी सेना स्टेपी क्षेत्र की पुरानी दशमलव प्रणाली के अनुसार गठित की गई।
  • मंगोलीय जनजातीय समूहों को विभाजित करके नवीन सैनिक इकाइयों में विभक्त किया गया।
  • सबसे बड़ी इकाई लगभग 10, 000 सैनिकों की थी।

बुखारा पर कब्जा :-

  • तेरहवी शताब्दी में ईरान पर मंगोलों के बुखारा की विजय का वृतांत एक फारसी इतिवृतकार जुवैनी ने 1220 ई . में दिया है।
  • उनके कथनानुसार, नगर की विजय के बाद चंगेज खान उत्सव मैदान गया जहाँ पर नगर के धनी व्यापारी एकत्रित थे। उसने उन्हें संबोधित कर कहा,
  • अरे लोगों ! तुम्हें यह ज्ञात होना चाहिए कि तुम लोगों ने अनेक पाप किए हैं और तुममें से जो अधिक सम्पन्न लोग हैं उन्होंने सबसे अधिक पाप किए हैं। अगर तुम मुझसे पूछो कि इसका मेरे पास क्या प्रमाण है तो इसके लिए मैं कहूँगा कि मैं ईश्वर का दंड हूँ। यदि तुमने पाप न किए होते तो ईश्वर ने मुझे दंड हेतु तुम्हारे पास न भेजा होता।

तेरहवी शताब्दी में मंगोलों की शासन की विशेषताएँ :-

  • तेरहवीं शताब्दी के मध्य तक मंगोल एक एकीकृत जनसमूह के रूप में उभरकर सामने आए और उन्होंने एक ऐसे विशाल साम्राज्य का निर्माण किया जिसे दुनिया में पहले नहीं देखा गया था।
  • उन्होंने अत्यंत जटिल शहरी समाजों पर शासन किया जिनके अपने – अपने इतिहास, संस्कृतियाँ और नियम थे।
  • हालांकि मंगोलों का अपने साम्राज्य के क्षेत्रों पर राजनैतिक प्रभुत्व रहा, फिर भी संख्यात्मक रूप में वे अल्पसंख्यक ही थे।

चंगेज खान :-

चंगेज खान का जन्म 1162 ई . मंगोलिया, प्रारंभिक नाम तेमुजिन। 1206 ई . में शक्तिशाली जमूका और नेमन लोगों को निर्णायक रूप से पराजित करने के बाद तेमुजिन स्पेपी क्षेत्र की राजनीति में सबसे प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में उभरा। उसने चंगेज खान, समुद्रि खान या सार्वभौम शासक ‘ को उपाधि – धारण की और मंगोलों का महानायक घोषित किया गया।

चंगेज खान और मंगोलों का विश्व का इतिहास में स्थान :-

मंगोलों के लिए चंगेज खान एक महान शासक था। उसने मंगोलों को संगठित किया। चीनियों द्वारा शोषण से मुक्ति दिलाई। पार महाद्वीपीय साम्राज्य बनाया। व्यापार के रास्ते तथा बाजार को पुनर्स्थापित किया। इसका शासन बहुजातीय, बहुभाषी, बहुधार्मिक था। अब मंगोलिया एक स्वतंत्र राष्ट्र है और चंगेज खान एक महान राष्ट्रनायक के रूप में तथा अराध्य व्यक्ति के रूप में मान्य है।

चंगेज खान की सैनिक उपलब्धियाँ :-

  • कुशल घुड़सवार सेना
  • तीरंदाजी का अद्भुत कौशल
  • मौसम की जानकारी
  • घेरा बंदी की नीति
  • नेफ्था बमबारी की शुरूआत
  • हल्के चल उपरस्करों का निर्माण

चंगेज खान के वंशजों की उपलब्धियाँ :-

  • मंगोल शासकों ने सब जातियों और धर्मों के लोगों को अपने यहाँ प्रशासकों और हथियारबंद सैन्य दल वेफ रूप में भर्ती किया।
  • इनका शासन बहु – जातीय, बहु – भाषी, बहु – धर्मिक था जिसको अपने बहविध संविधान का कोई भय नहीं था।
  • साम्राज्य निर्माण की महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए अनेक समुदाय में बंटे हुए लोगों का एक परिसंघ बनाया।
  • अंततः मंगोल साम्राज्य भिन्न – भिन्न वातावरण में परिवर्तित गया तथापि मंगोल साम्राज्य के संस्थापक की प्रेरणा एक प्रभावशाली शक्ति बनी रही।
  • उन्होंने विविध मतों और आस्था वाले लोगों को सम्मिलित किया। हालांकि मंगोल शासक स्वयं भी विभिन्न धर्मों एवं आस्थाओं से संबंध रखने वाले थे – शमन, बौद्ध, ईसाई और अंततः इस्लाम के मानने वाले थे जबकि उन्होंने सार्वजनिक नीतियों पर अपने वैयक्तिक मत कभी नहीं थोपे।

मंगोलों के लिए चंगेज खान की उपलब्धियाँ :-

  • मंगोलों के लिए चंगेज़ खान अब तक का सबसे महान शासक था, जिसकी निम्नलिखित उपलब्धियाँ थी।
  • उसने मंगोलों को संगठित किया, लंबे समय से चली आ रही कबीलाई लड़ाइयों और चीनियों द्वारा शोषण से मुक्ति दिलवाई।
  • साथ ही उसने उन्हें समृद्ध बनाया और एक शानदार पारमहाद्वीपीय साम्राज्य बनाया।
  • उसने व्यापार के रास्तों और बाजारों को पुनर्स्थापित किया जिनसे वेनिस के मार्कोपोलो की तरह दूर के यात्री आकृष्ट हुए।
  • चंगेज़ खान के इन परस्पर विरोधी चित्रों का कारण एकमात्र परिप्रेक्ष्य की भिन्नता नहीं बल्कि ये विचार हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि किस तरह से एक प्रभावशाली दृष्टिकोण अन्य को पूरी तरह से मिटा देता है।

तैमुर एवं चंगेज खान के वंश से संबंध :-

  • चौदहवीं शताब्दी के अंत में एक अन्य राजा तैमूर, जो एक विश्वव्यापी राज्य की आकांक्षा रखता था, ने अपने को राजा घोषित करने में संकोच का अनुभव किया, क्योंकि वह चंगेज़ खान का वंशज नहीं था। जब उसने अपनी स्वतंत्र संप्रभुता की घोषणा की तो अपने को चंगेज़ खानी परिवार के दामाद के रूप में प्रस्तुत किया।

यास :-

‘ यास ‘ को प्रारंभिक स्वरूप में यसाक लिखा जाता था। इसे चंगेज खान ने सन् 1206 ई . में कुरिलताई में लागू किया था। इसका अर्थ था – विधि, आज्ञप्ति व आदेश। इसमें प्रशासनिक विनियम हैं जैसे आखेट, सैन्य और डाक प्रणाली का संगठन।

मंगोली शासन व्यवस्था मेंयासकी भूमिका :-

  • ‘ यास ‘ प्रारंभिक स्वरूप में यसाक वह नियम संहिता थी जिसे चंगेज खान ने 1206 में कुरिलताई में लागू किया।
  • अर्थ – विधि, आज्ञप्ति, आदेश।
  • आखेट सैन्य व डाक प्रणाली के संगठन के विनियम।
  • अर्थ में परिवर्तन के कारण 13वीं शताब्दी के मध्य तक मंगोलों द्वारा एकीकृत विशाल साम्राज्य का गठन।
  • उनके द्वारा जटिल शहरी सामाजों पर शासन पर संख्यात्मक रूप में अल्पसंख्यक।
  • अपनी पहचान व विशिष्टता की रक्षा के लिए यास के पवित्र नियम के अविष्कार का दावा।
  • यास को अपने पूर्वज चंगेज खान की विधि संहिता कहकर प्रजा पर लागू करवाया।
  • यास में समान आस्था रखने वाले मंगोलों को संयुक्त किया। चंगेज व उसके वंशजों की मंगोलों से निकटता स्वीकृत।
  • यास से वंशजों की कबीलाई पहचान बरकरार। पराजित लोगों पर नियम लागू करने का आत्मविश्वास।
  • यास चंगेज खान की कल्पना शक्ति से प्रेरित था व विश्व व्यापी मंगोल राज्य की संरचना में सहायक था।

तेरहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में हुए युद्धों से हानियाँ :-

  • इन युद्धों से अनेक नगर नष्ट कर दिए गए, कृषि भूमि को हानि हुई और व्यापार चौपट हो गया।
  • दस्तकारी वस्तुओं की उत्पादन – व्यवस्था अस्त – व्यस्त हो गई।
  • सैकड़ों – हजारों लोग मारे गए और इससे कही अधिक दास बना लिए गए।
  • सभ्रांत लोगों से लेकर कृषक – वर्ग तक समस्त लोगों को बहुत कष्टों का सामना करना पड़ा।

मंगोल साम्राज्य का पत्तन :-

  • मंगोलों के पतन के मौलिक कारण थे :-
  • उनकी संख्या बहुत कम थी वह अपनी प्रजा की अपेक्षा कम सभ्य थे।
  • आपसी विरोध व अपनी सभ्यता को विजित देशों की सभ्यता में मिलाना।
  • मंगोलों द्वारा अन्य धर्मों का अपनाया जाना।

मंगोलों के पतन के मूल कारण :-

  • उनकी संख्या बहुत कम थी और वह अपनी प्रजा की अपेक्षा कम सभ्य थे।
  • आपसी विरोध व अपनी सभ्यता को विजित देशों की सभ्यता में मिलाना।
  • मंगोलों द्वारा अन्य धर्मों का अपनाया जाना।

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