संविधान को एक जीवंत दस्तावेज इसलिए कहा गया है. क्योकि संविधान गतिशील होता है। यह स्थाई या गतिहीन नही होता ।
संविधान का विकास
कारण
न्यायपालिका की व्याख्याएं
संवैधानिक संशोधन
संशोधन
संविधान मे देश की परिस्थितियो एवं आवश्यकतानुसार जो परिवर्तन किए जाते है, संवैधानिक संशोधन कहलान है ।
संशोधन होने के कारण
लचीला संविधान
समकालीन परिस्थितियाँ
विभिन्न वर्गो को सन्तुष्ट करने के लिए
सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन
संशोधन की विधियाँ (अनुच्छेद – 368)
संसद द्वारा साधारण बहुमत से संशोधन
संसद द्वारा दो-तिहाई बहुमत से
संसद के विशेष बहुमत तथा राज्यविधानपालिका के अनुमोदन दवारा
मूल ढाँचा (मौलिक ढाँचा)
भारतीय संविधान कुछ आधार भूत सिद्धांतो पर आधारित हैऔर इन सिद्धांतो को ही संविधान का मौलिक ढाँचा कहा जाता है। संशोधन द्वारा इसमे परिवर्त नही किया जा सकता ।
संविधान के आधार भूत सिद्धांत
भारत संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न राज्य है।
भारत समाजबादी राज्य है।
भारत एक धर्म – निरपेक्ष राज्य है।
भारत एक लोकतांत्रिक राज्य है ।
भारत एक गणराज्य हो
संसदीय सरकार
दुवि-सदनीय विधानमंडल
संविधान की सर्वोच्चता
संघात्मक व्यवस्था
स्वतंत्र न्यायपालिका
कानून का शासन
भारतीय संविधान संशोधन की विशेषताएँ
बुनियादी ढाँचे मे परिवर्तन नही।
संविधान लचीला व कठोर दोनो ।
संशोधन बिल किसी भी सदन मे पेश कर सकते है।
दोनों सदनों की शक्तियाँ बराबर।
संशोधन को न्यायालय मे चुनौती दे सकते है।
संशोधनो की भूमिका
प्रथम (1951): –
अनुच्छेद 115, 19, 31A, आदि में बदलाव ।
25 वाँ संशोधन (1971): –
संपत्ति के अधिकार को सीमित किया गया ।
26 वाँ संशोधन (1971): –
राजा – महाराजाओं के विशेषाधिकारों तथा जेब खर्चों का अंत ।
42 वाँ संशोधन (1976): –
प्रस्तावना में समाजवादी व धर्म(नरपेदा शब्द जोड़ो, मौलिक कर्तव्यों का वर्णन किया गया।
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