Class 9 Political Science || Chapter 3 चुनावी राजनीति || Electoral Politics Notes In Hindi
Class 9 Political Science Chapter 3 चुनावी राजनीति Electoral Politics Notes In Hindi
अध्याय = 3
चुनावी राजनीति
हमे चुनाव की जरूरत क्यों होती है ?
हमें चुनाव की जरूरत इसलिए होती है क्योकि चुनाव के द्वारा हम अपने शासक खुद चुन सकते है / इसलिए ज्यादातर लोकतांत्रिक शासन व्यवस्थाओं में लोग अपने प्रतिनिधियो के माध्यम से ही शासन करते है ।
चुनाव :-
चुनाव लोकतंत्र का एक अभिन्न अंग होता है क्योंकि चुनावों के माध्यम से ही लोग अपने जनप्रतिनिधियों को चुनते है ताकि सरकार का गठन हो और बाकी कामकाज हों । भारत में चुनाव किसी उत्सव से कम नहीं होते हैं ।
आम चुनाव :-
पाँच साल बाद सभी चुने हुए प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो जाता है , लोकसभा और विधानसभाएँ भंग हो जाती हैं , फिर सभी चुनावी क्षेत्रों में होने वाला चुनाव ‘ आम चुनाव ‘ कहलाता है ।
उपचुनाव :-
किसी क्षेत्र के सदस्य की मृत्यु या इस्तीफे से खाली सीट के लिए चुनाव ‘ उपचुनाव ‘ कहलाता है ।
लोकतान्त्रिक चुनावों के लिए ज़रूरी न्यूनतम शर्तें :-
हर किसी को मताधिकार ।
चुनावों में विकल्प उपलब्ध ।
चुनाव का अवसर नियमित अंतराल पर ।
वास्तविक चुनाव ।
स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव ।
निर्वाचन प्रक्रिया के विभिन्न चरण :-
चुनाव की घोषणा ।
प्रत्याशियों का चयन ।
नामांकन पत्र भरना ।
चुनाव , चिन्हों का आबंटन ।
राजनीतिक दलों द्वारा चुनावी घोषणा पत्र जारी करना ।
चुनाव अभियान ।
मतदान ।
मतों की गणना ।
परिणामों की घोषणा ।
राजनीतिक प्रतिस्पर्धा :-
चुनाव सभी प्रतिस्पर्धा के बारे में हैं । प्रतिस्पर्धा के बिना चुनाव अर्थहीन हो जाएगा । राजनीतिक प्रतिस्पर्धा तब होती है जब विभिन्न राजनीतिक दल विश्वास हासिल करने और अंततः मतदाताओं का वोट हासिल करने के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं । वे वादे करते हैं और मतदाताओं को प्रेरित करने के लिए प्रोत्साहन देते हैं ।
चुनावी प्रतियोगिता के दोष :-
यह हर इलाके में एकता और गुटबाजी (समूहवाद) और पार्टी-राजनीति की भावना पैदा करता है ।
विभिन्न राजनीतिक दल और उम्मीदवार अक्सर चुनाव जीतने के लिए बूथ कैप्चरिंग जैसी गंदी चाल का इस्तेमाल करते हैं ।
चुनावी लड़ाई जीतने का दबाव उपयोगी दीर्घकालिक नीतियां बनाने की अनुमति नहीं देता है ।
प्रतियोगिता अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा में घसीटे जाने के विचार की ओर ले जाती है। इसलिए अच्छे लोग प्रवेश नहीं करते हैं और राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में भाग नहीं लेते हैं ।
चुनावी प्रतियोगिता के गुण :-
नियमित चुनावी प्रतियोगिता राजनीतिक दलों और नेताओं को प्रोत्साहन प्रदान करती है ।
अगर वे अपने काम से मतदाताओं को संतुष्ट कर सकते हैं, तो वे फिर से जीतने में सक्षम होंगे ।
यदि कोई राजनीतिक दल केवल सत्ता में रहने की इच्छा से प्रेरित होता है, तो भी वह लोगों की सेवा करने के लिए मजबूर होगा ।
इससे राजनीतिक दलों की असली मंशा का पता चलता है ।
यह मतदाताओं को सर्वश्रेष्ठ में से चुनने का विकल्प देता है ।
भारत मे चुनाव :-
हमारे यहाँ हर 5 साल में लोकसभा तथा विधानसभा का चुनाव होता है । पाँच साल के बाद चुने हुये सभी प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो जाता है । फिर सभी चुनाव क्षेत्रों में एक ही दिन या अलग-अलग अंतराल में चुनाव होते हैं ।
निर्वाचन क्षेत्र या सीट :-
चुनाव के उद्देश्य से देश को अनेक क्षेत्रों में बाँट लिया गया है , इन्हें निर्वाचन क्षेत्र या सीट कहते हैं ।
लोकसभा चुनाव में कुल सीटें :-
लोकसभा में कुल 543 सीटें हैं । अनुसूचित जातियों के लिए 84 और अनुसूचित जनजातियों के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं ।
सबसे बड़ा एव सबसे छोटा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र :-
क्षेत्र के अनुसार देश का सबसे बड़ा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र लद्दाख और सबसे छोटा चांदनी चौक है ।
मतदाता सूची ( वोटर लिस्ट ) :-
मतदान की योग्यता रखने वाले लोगों की सूचि को मतदाता सूची ( वोटर लिस्ट ) कहते है ।
मतदान के लिये योग्य उम्र :-
18 वर्ष और उससे ऊपर की आयु वाले सभी नागरिक वोट डाल सकते हैं । यानी मतदान की योग्यता रखते हैं ।
उम्मीदवार बनने की न्यूनतम उम्र :-
25 वर्ष
टिकट :-
पार्टी के मनोनयन को सामान्य भाषा में टिकट कहते है ।
चुनाव अभियान के विभिन्न माध्यम या साधन :-
पोस्टर लगाना ।
सभाएं करना ।
भाषण देना ।
जुलूस निकालना ।
घर – घर जा कर मुलाकात करना ।
चुनावी नारे :-
गरीबी हटाओ – इंदिरा गाँधी , लोकतंत्र बचाओ – जनता पार्टी , जमीन जीतने वाले को वामपंथी दल , तेलुगु स्वाभिमान – तेलुगु देशम पार्टी ।
चुनाव आयोग :-
भारत में चुनाव संपन्न कराने का कार्य एक निष्पक्ष व स्वतंत्र इकाई करती है जिसे चुनाव आयोग कहते हैं ।
भारतीय चुनाव आयोग के अधिकार :-
चुनाव अधिसूचना जारी करने से लेकर नतीजों की घोषणा तक चुनाव प्रक्रिया का संचालन ।
आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू करना तथा उल्लंघन करने वाले उम्मीदवारों और पार्टियों को दण्डित कारना ।
चुनावों के दौरान सरकार को दिशा – निर्देश मानने का आदेश देना ।
सरकारी अधिकारियों को अपने अधीन करके उनसे चुनावी काम – काज लेना ।
जिन मतदान केन्द्रों पर चुनाव ढंग से नहीं हुआ हो वहां दोबारा चुनाव करवाना ।
भारतीय चुनाव आयोग के सामने चुनौतियाँ :-
ज़्यादा रूपये – पैसे वाले उम्मीदवारों और पार्टियों के गलत तरीकों पर रोकथाम ।
अपराधिक पृष्ठभूमि और संबंधों वाले उम्मीदवारों पर लगाम कसना ।
पारिवारिक संबंधों की बुनियाद पर टिकट मिलने पर रोकथाम ।
मतदाता को चुनने के लिए ज्यादा से ज्यादा विकल्प उपलब्ध करना ।
छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों की परेशानियों का निपटारा ।
स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए उठाए गए कदम :-
चुनाव से पूर्व मतदाता सूचियों को ठीक करना ।
सरकारी मशीनरी के दुरूपयोग पर नियंत्रण ।
मतदाताओं के लिए पहचान पत्र ।
चुनाव याचिका का जल्द निपटारा ।
चुनाव में धन – बल के प्रयोग की जाँच ।
आचार संहिता :-
चुनाव अभियान के समय राजनीतिक दलों द्वारा पालन किए जाने वाले नियमों को चुनाव आचार संहिता कहा जाता है ।
आचार संहिता के मुख्य प्रावधान :-
चुनाव के प्रचार के लिए किसी धार्मिक स्थल का प्रयोग नहीं किया जाएगा ।
सरकारी वाहनों , विमानों और सरकारी अधिकारियों का चुनाव प्रचार में उपयोग नहीं किया जाएगा ।
चुनाव की घोषणा के बाद सरकार द्वारा कोई भी नीतिगत फैसला नहीं लिया जाएगा एवं कोई योजना का शिलान्यास नहीं किया जाएगा ।
चुनावों के दौरान कोई भी उम्मीदवार या पार्टी क्या काम नहीं कर सकती :-
चुनावी कानूनों के अनुसार चुनावों के दौरान कोई भी उम्मीदवार या पार्टी निम्नलिखित काम नहीं कर सकती :-
मतदाता को प्रलोभन , घूस या धमकी ।
जाति या धर्म के नाम पर वोट मांगना ।
चुनावी अभियान में सरकारी साधनों का इस्तेमाल ।
लोकसभा चुनाव में एक क्षेत्र में 25 लाख या विधानसभा क्षेत्र में 10 लाख से ज्यादा खर्च ।
चुनाव प्रचार के लिए किसी धर्मस्थल का प्रयोग ।
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