पाठ – 13
महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आंदोलन
In this post we have given the detailed notes of class 12 History Chapter 13 Mahatma Gandhi or Rashtriy Aandolan (Mahatma Gandhi and National Movements) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams.
इस पोस्ट में क्लास 12 के इतिहास के पाठ 13 महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आंदोलन (Mahatma Gandhi and National Movements) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं इतिहास विषय पढ़ रहे है।
Class 12th (History) Ch 13 (Mahatma Gandhi and National Movements) in Hindi | Latest Syllabus 2021 | महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आंदोलन | Part – 3 |
2.महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आंदोलन
2.1.महात्मा गांधी
2.2.भारत और आंदोलन
2.3.गांधी जी का भारत आगमन
2.4. 1917 से 1919
2.5.रोलेट एक्ट
2.12.लाहौर अधिवेशन
2.13.गोलमेज सम्मेलन
2.19.भारत की स्वतंत्रता
2.21.गांधी जी को जानने के स्त्रोत
महात्मा गांधी
- गांधी जी का जन्म 1869 में गुजरात के क्षेत्र पोरबंदर में हुआ था
- गांधी जी के पिताजी का नाम करमचंद एवं उनकी माता का नाम पुतलीबाई था
- गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था
- पेशे से गांधीजी एक वकील थे 1888 में गांधीजी अपनी वकालत की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड गए
- 1893 में गांधीजी दक्षिण अफ्रीका गए
गांधी जी और दक्षिण अफ्रीका
- दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी को रंगभेद का सामना करना पड़ा
- गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में लगभग 20 साल बिताए और रंगभेद का खुलकर विरोध किया एवं दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले काले लोगों को इस भेदभाव से आजादी दिलाई
- गांधीजी 1915 में वापस भारत आए दक्षिण अफ्रीका में बिताए 20 सालों ने ही गांधी जी को महात्मा बनाया
- गांधी जी द्वारा अहिंसात्मक विद्रोह के तरीके सत्याग्रह का इस्तेमाल सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में ही किया गया
भारत और आंदोलन
स्वदेशी आंदोलन
- भारत में 1905 से 1907 तक स्वदेशी आंदोलन चला
- इस आंदोलन के मुख्य नेता
- लाला लाजपत राय (पंजाब)
- विपिन चंद्र पाल (बंगाल) और
- बाल गंगाधर तिलक (महाराष्ट्र) थे
- इन तीनों को लाल बाल तथा पाल के नाम से भी जाना जाता था
- इन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ हिंसा का रास्ता अपनाने की सिफारिश की
गांधी जी का भारत आगमन
- 1915 में गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत आए
- भारत में आकर गांधीजी ने देखा कि भारत की राजनीतिक व्यवस्था बहुत ज्यादा बदल चुकी थी
- बदली हुई स्थिति को देखते हुए गांधीजी ने अपने राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले से सलाह ली कि उन्हें क्या करना चाहिए
- गोपाल कृष्ण गोखले ने गांधी जी को 1 वर्ष तक ब्रिटिश भारत की यात्रा करने की सलाह दी ताकि वह ब्रिटिश भारत को अच्छे से समझ सके एवं यहां के लोगों से रूबरू हो सकें
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
- फरवरी 1916 में गांधी जी को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में आमंत्रित किया गया
- इस समारोह में आमंत्रित लगभग सभी लोग अमीर तबके से थे
- जब गांधी जी के भाषण देने की बारी आई
- तो उन्होंने अन्य लोगों की तरह अपनी प्रशंसा या लोगों के सम्मान में कोई बात नहीं की
- उन्होंने कहा कि मुझे समझ नहीं आ रहा कि इस अमीरों से भरी सभा में मैं क्या कहूं क्योंकि यहां पर देश के सबसे महत्वपूर्ण यानी गरीब लोग तो है ही नहीं
- अपने पूरे भाषण के दौरान गांधीजी ने गरीब लोगों के लिए चिंता प्रकट की और कहां कि गरीबों और किसानों के बिना भारत को मुक्त करवा पाना लगभग असंभव है
1917 से 1919
- 1917 में गांधी जी ने बिहार के 1 जिले चंपारण में किसानों की स्थिति को सुधारने के प्रयास किए
- चंपारण के किसान नील की खेती किया करते थे गांधी जी ने उनके पक्ष में अदालत में मुकदमा लड़ा और किसानों को मुआवजा दिलवाया
- 1918 में गांधी जी मुख्य रूप से गुजरात में दो आंदोलनों में जुड़े रहे
पहला :-
- अहमदाबाद में कपड़ों की मिल में काम करने वाले कामगार काम करने की बेहतर स्थिति के लिए आंदोलन कर रहे थे इस में गांधी जी शामिल हुए
दूसरा
:-
- खेड़ा में किसानों की फसल चौपट हो जाने के बावजूद भी अंग्रेजों द्वारा पूरे कर की मांग की जा रही थी यहां गांधी जी ने किसानों की कर्ज माफी की मांग का समर्थन किया
रोलेट एक्ट
- 1914 से 18 में हुए प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों ने भारत में प्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया और बिना किसी जांच और मुकदमे के लोगों को जेल में डालने की अनुमति दे दी
- प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद सर सिडनी रोलेट की अध्यक्षता में एक समिति को बनाया गया और इस समिति ने भी इस व्यवस्था को आगे जारी रखने की सिफारिश की
- इस तरह से 1919 में अंग्रेजों द्वारा रोलेट एक्ट को पास किया गया
- इस एक्ट के अनुसार किसी भी विद्रोही को किसी भी प्रकार की जांच किए एवं मुकदमा चलाए बिना बंदी बनाया जा सकता था
- पूरे देश में इस रोलेट एक्ट का बड़े स्तर पर विरोध किया गया और गांधीजी ने इस विरोध का खुलकर समर्थन किया
- पूरे देश में बंद लागू कर दिया गया सभी दुकाने, बाजार, स्कूल आदि बंद कर दिए गए और पूरे देश में एक सन्नाटा छा गया
- रोलेट एक्ट का सबसे बढ़ चढ़कर विरोध पंजाब में किया गया क्योंकि पंजाब के लोगों ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों की तरफ से युद्ध में हिस्सा लिया था
- इस योगदान के बदले पंजाब के लोग अपने लिए इनाम की अपेक्षा कर रहे थे और उसके बदले अंग्रेजों ने उन्हें रोलेट एक्ट दिया इस वजह से वह बहुत ज्यादा नाराज थे
- पंजाब में विरोध का समर्थन करने के लिए गांधीजी पंजाब के लिए रवाना हुए रास्ते में ही उन्हें और कांग्रेस के कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया
जलियांवाला बाग हत्याकांड
- अप्रैल 1919 में अमृतसर में स्थित जलियांवाला बाग में काफी सारे लोग इस रोलेट एक्ट के विरोध में इकट्ठा हुए
- इन लोगों के विरोध को बढ़ता हुआ देखकर अंग्रेजी ब्रिगेडियर जनरल डायर ने इन सभी लोगों पर गोली चलाने का हुकुम दे दिया
- लगभग 400 से ज्यादा लोग इस गोलीबारी में मारे गए और जलियांवाला बाग हत्याकांड की खुलकर आलोचना की गई
असहयोग आंदोलन
- सन 1920 में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की
- इस आंदोलन के तहत गांधी जी ने सभी भारतीयों से अंग्रेजों के सभी सामानों एवं सेवाओं को त्यागने की अपील की
- उन्होंने विद्यार्थियों से अपील की कि वे स्कूल ना जाए, वकीलों से अपील की कि अदालत ना जाए और किसानों से अपील की कि वह कर चुकाना बंद कर दे
- यह आंदोलन बड़े स्तर पर सफल रहा
- अवध के किसानों ने कर चुकाना बंद कर दिया
- 921 में देश में 396 हड़तालें हुई और इन हड़ताल में लगभग 600000 मजदूर शामिल थे
- विद्यार्थियों ने स्कूल और कॉलेज जाना बंद कर दिया
- वकीलों ने अदालतों का बहिष्कार किया
- उत्तरी आंध्र की पहाड़ियों में जनजातियों ने वन्य कानून मानने से मना कर दिया
- 1857 की क्रांति के बाद पहली बार किसी आंदोलन ने अंग्रेजी शासन को हिला कर रख दिया
चोरी चोरा और असहयोग आंदोलन
- फरवरी 1922 में संयुक्त प्रांत के क्षेत्र चोरी चोरा के एक पुलिस स्टेशन में किसानों के एक समूह ने आग लगा दी
- इस आग की वजह से कई पुलिसवालों की जान चली गई
- गांधी जी ने इस हिंसा का विरोध किया और अपना असहयोग आंदोलन वापस ले लिया
- इस तरह असहयोग आंदोलन का अंत हुआ
असहयोग आंदोलन के बाद
- असहयोग आंदोलन समाप्त होने के कई वर्षों बाद तक गांधीजी राजनीति से दूर रहें
- उन्होंने अपने समाज सुधार के कार्यों पर ध्यान दिया
- उन्होंने अपना ध्यान समाज में स्थित कुरीतियों को खत्म करने एवं समाज को सशक्त बनाने पर केंद्रित किया
- उन्होंने छुआछूत एवं अमीर और गरीब के भेद को समाप्त करने का प्रयास किया
- देश के लोगों को सशक्त बनाने के लिए लोगों को घर में बने कपड़े पहनने के लिए प्रेरित किया
- उन्होंने चरखे का बढ़-चढ़कर प्रचार किया
गांधीजी एक जन नेता के रूप में
- भारत में गांधीजी एक जन नेता के रूप में उभरे
- उन्होंने अपने आंदोलनों में केवल अमीर वर्ग को ही शामिल नहीं किया बल्कि उन्होंने गरीब वर्ग जैसे कि किसानों, श्रमिकों और कारीगरों की भी बराबर हिस्सेदारी रखी
- गांधी जी को यह पता था कि देश में अमीरों की संख्या केवल मुट्ठी भर है और इतने से अमीर लोगों के साथ अंग्रेजी शासन को हिला पाना बहुत मुश्किल होगा इसीलिए उन्होंने देश के सभी लोगों को आंदोलन में शामिल किया ताकि वह अंग्रेजी शासन को जड़ से खत्म कर सकें
- गांधी जी के प्रयासों के कारण हजारों की संख्या में किसान, श्रमिक और कारीगर आंदोलन में शामिल हुए
- सभी आंदोलनकारियों ने गांधीजी को सम्मान पूर्वक महात्मा का
- गांधी जी ने भारत के सामान्य लोगों जैसी वेशभूषा अपनाई ताकि वह खुद को सामान्य लोगों से जोड़ सकें
- जहां एक तरफ देश के अन्य नेता सूट बूट पहनते थे वही गांधीजी एक साधारण सी धोती पहना करते थे
- अपनी वेशभूषा और विचारधारा के कारण लोग गांधीजी को गरीबों के मसीहा और हमदर्द के रूप में देखने लगे
- गांधीजी ने सदैव हिंदू मुस्लिम एकता पर बल दिया ताकि आपसी मतभेदों के कारण देश की आजादी में कोई बाधा ना आए
- गांधी जी ने स्वदेशी का प्रचार किया ताकि देश के लोगों का विकास हो सके
- अपने कार्यों के कारण गांधीजी केवल राजनीतिक नेता ही नहीं बने बल्कि वह एक समाज सुधारक के रूप में पहचाने गए
- उन्होंने देश में स्वच्छता एवं आत्मनिर्भरता पर भी जोर दिया
साइमन कमीशन
- 1919 में अंग्रेजी सरकार द्वारा भारत में भारत सरकार अधिनियम को पारित किया गया इसे
- मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार के नाम से भी जाना जाता है
- इन्हें लागू किए जाने के 10 वर्ष बाद इन सुधारों की पुनः जांच की जानी थी
- कोई भी भारतीय इन सुधारों से संतुष्ट नहीं था और वह सभी इनमें बदलाव चाहते थे
- इन सुधारों की जांच करने के लिए साइमन कमीशन का गठन किया गया इसका गठन 1927 में किया गया था
- 1928 में साइमन कमीशन भारत आया इसे साइमन कमीशन कहा जाता है क्योंकि इसके अध्यक्ष का नाम जॉन साइमन था इस
- कमीशन में सभी कुल 7 सदस्य थे और सभी अंग्रेज थे
- भारतीय लोगों द्वारा इस साइमन कमीशन का विरोध किया गया क्योंकि इसके सभी सदस्य अंग्रेज थे और वह भारत की परिस्थितियों से परिचित नहीं थे
साइमन कमीशन का विरोध
- कोलकाता में सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में साइमन कमीशन का विरोध किया गया
- बंबई में भी साइमन कमीशन का विरोध किया गया और साइमन वापस जाओ के नारे लगाए गए
- लखनऊ में जवाहरलाल नेहरू और जीबी पंत के नेतृत्व में साइमन कमीशन का विरोधकिया गया
- इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस द्वारा लाला लाजपत राय पर लाठी से हमला किया गया जिस वजह से उनकी मृत्यु हो गई
- मुस्लिम लीग ने भी मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में साइमन कमीशन का विरोध किया
लाहौर अधिवेशन
- सन 1929 में कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन हुआ इस अधिवेशन में कई मुख्य फैसले लिए गए
- इस अधिवेशन के दौरान ही जवाहरलाल नेहरू को कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया
- इसी अधिवेशन में पहली बार पूर्ण स्वराज यानी पूरी आजादी की मांग की गई
- पूर्ण स्वराज की मांग के बाद 26 जनवरी 1930 को देश के अलग-अलग स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया देशभक्ति के गीत गाय गए और स्वतंत्रता दिवस मनाया गया
- यहीं से ही भारतीयों ने पूर्ण स्वराज की मांग शुरू की
- इसी दौरान अंग्रेजों द्वारा एक कानून बनाया गया था जिसके अंतर्गत देश में कोई भी व्यक्ति नमक का उत्पादन नहीं कर सकता था
- लोगों को नमक का उत्पादन करने से रोक कर अंग्रेजों ने स्वयं बाजार में नमक को ऊँचे दामों पर बेचना शुरू कर दिया
- गांधीजी इस नियम के खिलाफ थे और उन्होंने इसका विरोध करने के लिए सत्याग्रह करने की घोषणा की गांधी जी ने कहा कि नमक हर व्यक्ति की रोजमर्रा की जरूरतों में से एक है ऐसे में इसे ऊंचे दामों पर बेचकर सरकार लोगों पर अत्याचार कर रही है
- यही से ही गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की
- इसी आंदोलन के दौरान गांधीजी ने 12 मार्च 1930 को साबरमती में स्थित अपने आश्रम से समुद्र की ओर चलना प्रारंभ किया
- इस यात्रा में उनके साथ हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए यात्रा शुरू करने के 3 हफ्ते बाद गांधीजी समुद्र के किनारे पहुंचे और वहां मुट्ठी भर नमक बनाकर अंग्रेजों के नमक कानून को तोड़ दिया
- इस कानून को तोड़ने के बाद गांधीजी अंग्रेजों की नजरों में अपराधी बन गए परंतु उन से प्रेरित होकर देश में कई स्थानों पर ऐसे ही नमक यात्राओं का आयोजन किया गया
- नमक सत्याग्रह को बढ़ा होते हुए देखकर अंग्रेजों ने लगभग 60000 लोगों को गिरफ्तार कर लिया और गांधी जी को भी गिरफ्तार कर लिया
- इस आंदोलन की शुरुआत में अमेरिका की समाचार पत्रिका टाइम्स ने गांधीजी की कद काठी का मजाक उड़ाया और अपनी पहली रिपोर्ट में लिखा कि अपने इस दुर्बल शरीर के साथ शायद गांधी जी अपनी नमक यात्रा को पूरा ना कर पाए
- गांधीजी के नमक सत्याग्रह की सफलता के साथ ही टाइम्स पत्रिका के विचार भी बदल गए अब यही पत्रिका गांधी जी को साधु और राजनेता कह कर उनकी प्रशंसा करने लगी और लिखा कि गांधीजी की इस यात्रा को लोगों का भारी समर्थन मिल रहा है जिस वजह से अंग्रेजी शासन बेचैन हो गया
नमक यात्रा के परिणाम
- नमक यात्रा को मिले भारी समर्थन के कारण अंग्रेजों में डर बैठ गया
- उन्हें यह अहसास हो गया कि अब उनका शासन भारत में लंबे समय तक नहीं चल पाएगा
- अगर उन्हें अपने शासन को बचाए रखना है तो उन्हें भारतीयों को भी शासन में हिस्सा देना पड़ेगा
- इस पूरे दौर में यह पहला ऐसा आंदोलन था जिसमें महिलाओं ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया
- उस दौर की एक समाजवादी कार्यकर्ता कमलादेवी चट्टोपाध्याय ने गांधी जी को आंदोलन में महिलाओं को शामिल करने की सलाह दी
- गांधी जी ने कमला देवी की बात को माना और महिलाओं को भी आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया
- नमक सत्याग्रह के कारण गांधी जी को पूरे विश्व में प्रसिद्धि मिली क्योंकि इस पूरी यात्रा की कवरेज यूरोप और अमेरिकी की प्रेस ने बड़े स्तर पर की थी
गोलमेज सम्मेलन
- गांधीजी के सविनय अवज्ञा आंदोलन और दांडी मार्च के बाद अंग्रेजों को समझ आ चुका था कि अब भारत में शासन करना पहले की तरह आसान नहीं होने वाला है
- अगर उन्हें भारत में अपना शासन कायम रखना है तो उन्हें भारतीयों को भी शासन में हिस्सा देना पड़ेगा
- इसी को देखते हुए अंग्रेजों ने पहले गोलमेज सम्मेलन का आयोजन नवंबर 1930 में किया भारत के कई बड़े बड़े नेता इस सम्मेलन में शामिल नहीं हो पाए और गांधीजी भी उस दौरान जेल में थे इसीलिए यह आंदोलन सफल नहीं हो पाया
गांधी इरविन समझौता
- जनवरी 1931 में गांधीजी को रिहा कर दिया गया
- रिहाई के ठीक 1 महीने बाद गांधीजी और उस दौर के वायसराय इरविन के बीच एक बैठक हुई
- इस बैठक के दौरान गांधीजी और इरविन के बीच एक समझौता किया गया जिसे गांधी इरविन समझौता कहा जाता है
- इस समझौते के अंतर्गत तीन शर्ते थी
- इरविन ने गांधी जी से अपना सविनय अवज्ञा आंदोलन वापस लेने को कहा
- सविनय अवज्ञा आंदोलन वापस लेने के बदले गांधी जी ने सारे कैदियों की रिहाई की मांग की
- साथ ही साथ गांधीजी ने मांग की कि भारत के लोगों को तटीय इलाकों पर नमक उत्पादन की अनुमति दी जाए
- कई रेडिकल राष्ट्रवादी लोगों ने इस समझौते की आलोचना की क्योंकि आंदोलन का मुख्य उद्देश्य आजादी था जो गांधीजी हासिल नहीं कर पाए
दूसरा गोलमेज सम्मेलन
- 1931 में दूसरे गोलमेज सम्मेलन का आंदोलन लंदन में किया गया
- इस सम्मेलन में कांग्रेस का नेतृत्व गांधी जी द्वारा किया गया
- गांधीजी ने कहा कि उनकी पार्टी पूरे देश का नेतृत्व करती है
- उनकी इस बात का तीन पार्टियों द्वारा विरोध किया गया
- मुस्लिम लीग ने कहा कि मुस्लिम लीग भारत के मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करती है
- रजवाड़ों द्वारा कहा गया कि उनके क्षेत्र में कांग्रेस का कोई भी प्रभाव नहीं है
- डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने कहा कि कांग्रेस द्वारा दलितों का प्रतिनिधित्व नहीं किया जाता
- इतना भेद होने के कारण इस सम्मेलन का कोई नतीजा नहीं निकला और गांधी जी को खाली हाथ ही वापस लौटना पड़ा
- भारत में आकर गांधीजी ने पुनः अपने सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की
द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत
- 1939 में विश्व में द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत हुई उस दौर में ब्रिटेन मित्र राष्ट्रों में शामिल था
- इस स्थिति को देखते हुए महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू दोनों ने अंग्रेजी सरकार को एक प्रस्ताव दिया कि अगर वह भारत की आजादी का आश्वासन दे तो कांग्रेस उनके युद्ध प्रयासों में उनकी सहायता करेगी
- परंतु अंग्रेजी सरकार द्वारा उनके प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया
- इसके विरोध में कांग्रेसी के मंत्रिमंडल ने अक्टूबर 1939 में इस्तीफा दे दिया
क्रिप्स मिशन
- 1942 के दौर में ब्रिटेन में एक सर्वदलीय सरकार बनी इस सरकार में लेबर पार्टी के सदस्य भी शामिल थे
- लेबर पार्टी के सदस्य भारतीयों से हमदर्दी रखते थे और वह उनकी आजादी के पक्ष में थे लेकिन इस सरकार के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल थे और वह एक कट्टर साम्राज्यवादी थे
- 1942 में चर्चिल ने कांग्रेस के साथ समझौता करने के लिए पुनः प्रयास शुरू किए
- इन प्रयासों के तहत उन्होंने अपने एक मंत्री स्टेफर्ड क्रिप्स को भारत भेजा ताकि वह भारत में कांग्रेस के नेताओं से बात करके समस्या का समाधान कर सकें
- इस वार्ता के दौरान कांग्रेस ने कहा कि अगर ब्रिटेन द्वितीय विश्व युद्ध में कांग्रेस का समर्थन चाहता है तो भारत के वायसराय को सबसे पहले अपनी कार्यकारी परिषद में किसी भारतीय को एक रक्षा सदस्य के रूप में नियुक्त करना पड़ेगा
- अंग्रेजी सरकार ने इस बात को मानने से इनकार कर दिया और यह बातचीत यहीं पर समाप्त हो गई
भारत छोड़ो आंदोलन
- कई वार्ताओं प्रयासों और क्रिप्स मिशन के असफल होने के बाद गांधी जी ने अंग्रेजों के विरोध में अपना तीसरा और सबसे बड़ा आंदोलन शुरू किया जिसका नाम था भारत छोड़ो आंदोलन
- इस आंदोलन की शुरुआत करने के बाद गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया परंतु देश में यह आंदोलन धीरे-धीरे बढ़ता गया
- देश भर में युवाओं द्वारा हड़ताल की गई और बड़े स्तर पर तोड़फोड़ की गई
- जयप्रकाश नारायण जैसे समाजवादी नेता इसमें सबसे ज्यादा सक्रिय है
- अंग्रेजों ने इस आंदोलन को दबाने के कई प्रयास किए परंतु फिर भी उन्हें इस आंदोलन को संभालने में 1 साल से ज्यादा का समय लग गया
- इस आंदोलन के दौरान कांग्रेस के लगभग सभी बड़े – बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया गया और इस दौर में मोहम्मद अली जिन्ना ने मुस्लिम लीग के साथ देश में अपना प्रभाव फैलाने के प्रयत्न किए
- द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के समय गांधी जी को जेल से रिहा कर दिया गया
- इसी दौरान ब्रिटेन में लेबर पार्टी की सरकार बनी यह वही सरकार थी जो भारत को स्वतंत्रता देने के पक्ष में थी
कांग्रेस और मुस्लिम लीग
- इस दौर तक आते-आते कांग्रेस और मुस्लिम लीग के अलग-अलग गुट बन गए थे
- जेल से बाहर आने के बाद गांधी जी ने हिंदू मुस्लिम एकता को कायम करने के प्रयास किये परंतु वह इसमें असफल रहे
- कांग्रेस और मुस्लिम लीग के प्रतिनिधियों के बीच कई बैठकों का आयोजन भी किया गया परंतु वह भी सफल ना हो सकी
- इसी दौरान प्रांतीय विधान मंडलों के चुनाव करवाए गए
- इसमें कांग्रेस को सामान्य श्रेणी में भारी सफलता मिली जबकि मुस्लिमों के लिए आरक्षित सीटों पर मुस्लिम लीग को बहुमत प्राप्त हुआ
- इस तरह भारतीय राजनीति आजादी से पहले ही दो अलग-अलग भागों में बट गई
कैबिनेट मिशन
- 1946 में कैबिनेट मिशन भारत आया और इसने कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच समझौता कराने का प्रयास किया परंतु यह इसमें असफल रहा
- कोई भी समाधान ना निकल पाने के कारण मोहम्मद अली जिन्ना ने 16 अगस्त 1946 के दिन प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस का आवाहन किया
- 16 अगस्त 1946 को देश में बड़े स्तर पर हिंदू मुस्लिम दंगे शुरू हो गए यह हिंसा कोलकाता से शुरू हुई और धीरे-धीरे ग्रामीण बंगाल, संयुक्त प्रांत, पंजाब और बिहार तक फैल गई
भारत की स्वतंत्रता
स्वतंत्रता दिवस
- 15 अगस्त 1947 के दिन भारत को आजादी मिली
- पूरे देश में बड़े स्तर पर धूमधाम से इस दिन को मनाया गया परंतु साथ ही साथ देश के कई बड़े हिस्सों में विभाजन के कारण इसी दिन हिंसा भी हुई
- गांधीजी ने किसी भी उत्सव में हिस्सा नहीं लिया क्योंकि वह भारत के विभाजन और देश में हो रहे दंगों से परेशान थे
- उस दौरान वह कोलकाता में थे ना तो उन्होंने किसी कार्यक्रम में हिस्सा लिया और ना ही झंडा फहराया
- हिंदू-मुस्लिम दंगों को शांत कराने के लिए गांधीजी ने 1 दिन का उपवास भी रखा उनके इस उपवास की वजह से कई क्षेत्रों में दंगों में कमी आई
गांधी जी के अंतिम क्षण
- 30 जनवरी 1948 की शाम को गांधी जी अपनी दैनिक प्रार्थना सभा में बैठे थे
- तभी एक युवक ने आकर उनको गोली मारी और गांधी जी ने अपनी अंतिम सांस ली
- यह युवक नाथूराम गोडसे था वह एक चरमपंथी हिंदुत्ववादी अखबार का संपादक था और गांधी जी से नाखुश था
- वह मानता था कि गांधीजी मुस्लिमों का अत्याधिक समर्थन कर रहे हैं इसी वजह से उसने गांधीजी की हत्या कर दी और हत्या के बाद आत्मसमर्पण किया
गांधी जी को जानने के स्त्रोत
आत्म कथाएं
- आत्मकथा से गांधी जी और उनके जीवन के मुख्य पक्षों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती हैं
विभिन्न समाचार पत्र
- भारत में छपने वाले समाचार पत्रों के साथ-साथ विदेशों में छपने वाले समाचार पत्रों में भी गांधीजी से जुड़ी विभिन्न जानकारियां उपलब्ध है
निजी लेखन
- गांधी जी द्वारा लिखे गए पत्रों से गांधीजी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती हैं
भाषण
- गांधी जी द्वारा दिए गए भाषणों के आधार पर गांधी जी को समझा जा सकता है
सरकारी रिकॉर्ड
- औपनिवेशिक शासन के दौरान गांधीजी पर सरकार द्वारा गहरी नजर रखी जाती थी और उनकी हर हरकत का ब्यौरा लिखा जाता था इन सभी रिपोर्टों से गांधी जी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध होती हैं
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