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पाठ – 7

जन आंदोलन

In this post, we have mentioned all the important questions of class 12 Political Science Chapter 7 Rise of Popular Movements in Hindi.

इस पोस्ट में क्लास 12 के राजनीति विज्ञान के पाठ 7 जन आंदोलन के सभी महतवपूर्ण प्रश्नो का वर्णन किया गया है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं राजनीति विज्ञान विषय पढ़ रहे है।

Ch 7 जन आंदोलन

एक अंक वाले प्रश्न 

प्रश्न 1. चिपको आंदोलन की शुरूआत कहाँ पर हुई ? 

उत्तर: उत्तराखण्ड

प्रश्न 2. ताड़ी विरोधी आंदोलन का प्रमुख नारा बतायें।

उत्तर: ताड़ी की बिक्री बंद करो

प्रश्न 3. मेधा पाटेकर किस जन आंदोलन से जुड़ी हैं ?

उत्तर: नर्मदा बचाओ आंदोलन

प्रश्न 4. नामदेव ढसाल …………. के प्रसिद्ध कवि हैं ? 

उत्तर: मराठी

प्रश्न 5. दलित पैंथर्स के पतन के बाद उत्पन्न रिक्त स्थान की पूर्ति किस संगठन रूप लिखे। 

उत्तर: बामसेफ

प्रश्न 6. NFF का विस्तृत रूप लिखें।

उत्तर: नेशनल फिशवर्कस फोरम

प्रश्न 7. सूचना का अधिकार विधेयक कब पारित हुआ ? 

उत्तर: 2005

प्रश्न 8. जन आंदोलन से आपका क्या अभिप्राय है ? 

उत्तर: समाज के विभिन्न समूह अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिये जो आंदोलन चलाते हैं, उन्हें जन आंदोलन कहते हैं। यह लोगों के असंतोष की अभिव्यक्ति के माध्यम हैं।

प्रश्न 9. हाल ही में किस राज्य ने पूर्ण शराबबंदी लागू की है ?

उत्तर: बिहार

प्रश्न 10. नर्मदा सागर बाँध किस राज्य में है ? 

उत्तर: मध्य प्रदेश

प्रश्न 11. भारतीय किसान यूनियन का प्रभाव किन राज्यों में अधिक था ? 

उत्तर: पश्चिमी उत्तर-प्रदेश व हरियाणा

प्रश्न 12. सूचना के अधिकार का नेतृत्व किस संगठन ने किया ? 

उत्तर: मजदूर किसान शक्ति संगठन

प्रश्न 13. किस संविधान संशोधन के माध्यम से महिलाओं को स्थानीय निकायों में आरक्षण प्रदान किया गया है ?

उत्तर: 73वाँ तथा 74वाँ संशोधन

दो अंक वाले प्रश्न 

प्रश्न 1. भारतीय किसान यूनियन की दो माँगे बतायें।

उत्तर:

  • बिजली की दर में की गयी बढ़ोत्तरी का विरोध
  • किसानों के ऋण माफ करने की माँग।

प्रश्न 2. दलित पैंथर्स की मुख्य गतिविधियाँ बतायें। 

उत्तर:

  • अनेकों साहित्यिक रचनाओं द्वारा जातिगत अत्याचारों का विरोध। 
  • भूमिहीन गरीब किसानो, मजदूरों व दलितों का संगठन बनाना व मंच प्रदान करना। 

प्रश्न 3. निम्नलिखित को सही कर पुनः लिखें – 

“सुचना का अधिकार संबंधी विधेयक सदन के पटलपर 2002 में रखा गया तथा जनवरी 2005 में इस विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली। 

उत्तर: “सूचना का अधिकार’ संबंधी विधेयक सदन के पटल पर सन् 2004 में रखा गया तथा जून 2005 में विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली।

प्रश्न 4. BAMCEF तथा BKU का विस्तृत रूप लिखें। 

उत्तर:

  • बैकवर्ड एण्ड माइनोरिटी एम्पलाईज़ फेडरेशन 
  • भारतीय किसान यूनियन 

प्रश्न 5. रिक्त स्थानों की पूर्ति करो 

एक आंदोलन जो _________ के नाम से जाना जाता है, नर्मदा नदी पर _________ के निर्माण के विरूद्ध है। 

उत्तर: एक आंदोलन जो नर्मदा बचाओ आंदोलन के नाम से जाना जाता है, नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध के निर्माण के विरूद्ध है।

प्रश्न 6. दल आधारित तथा राजनैतिक दलों से स्वतंत्र आंदोलनों में अंतर स्पष्ट कीजिये। 

उत्तर: दल आधारित आंदोलन वह होते हैं जो राजनैतिक दलों के सहयोग से शुरू किये जाते हैं। जो आंदोलन स्थानीय लोगों व स्वयंसेवी संगठनों आदि के द्वारा शुरू किये जाते हैं, उन्हें दलों से स्वतंत्र आंदोलन कहते हैं। 

प्रश्न 7. उड़ीसा के आदिवासी जिलों में, उद्योग लगाने से आदिवासियों तथा पर्यावरणविदों के किस प्रकार के डर थे ? 

उत्तर: आदिवासियों को विस्थापन तथा आजीविका का भय था तथा पर्यावरणविद् को पर्यावरण के प्रदूषण का भय था।

प्रश्न 8. नेशनल फिशवर्कर्स फोरम’ की स्थापना क्यों की गई ? 

उत्तर:

  • नेशनल फिशवर्कर्स फोरम (NFF), जो भारत के ट्रेड यूनियन अधिनियम के तहत पंजीकृत है, भारत के राज्य स्तरीय, छोटे और पारंपरिक मछली श्रमिकों के यूनियन का एकमात्र राष्ट्रीय महासंघ है।
  • NFF भारत मे मछली पकड़ने के समुदायों और इसके मूल स्रोत – मत्स्य संसाधन, जैव विविधता और प्राकृतिक पर्यावरण के जीवन और आजीविका की रक्षा के लिए लड़ता है।
  • यह एक प्रमुख भागीदारी के रूप मे वर्ल्ड फोरम ऑफ फिशर्स पीपल (WFFP) के नेतृत्व मे मछली पकड़ने वाले के समुदायो के अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ा हुआ है।
  • केरल के मछुआरो ने अपने हमपेशा साथियो और दूसरे राज्यों की हमपेशा महिलाओ को भी अपने साथ शामिल करने की ज़िम्मेदारी संभाली।

चार अंक वाले प्रश्न 

प्रश्न 1. चिपको आंदोलन कब शुरू हुआ ? पर्यावरण संरक्षण में इसका क्या योगदान था ?

उत्तर: चिपको आंदोलन – (पर्यावरण आंदोलन)

  • 1973 में उत्तराखण्ड में शुरू 
  • वन विभाग ने खेती बाड़ी के औजार बनाने के लिये पेड़ो (अंगू) की कटाई से इंकार किया। 
  • जबकि खेल-सामग्री के विनिर्माता को व्यवसायिक इस्तेमाल के लिये जमीन का आबंटन। 
  • महिलाओं व समस्त ग्रामवासियों द्वारा पेड़ो की कटाई का विरोध। 
  • महिलायें पेड़ों की कटाई के विरोध में पेड़ों से चिपक गयी।

प्रश्न 2. आंध्र प्रदेश में चले शराब विरोधी आंदोलन ने देश का ध्यान किन गंभीर मुद्दों की तरफ खींचा? 

उत्तर: अपराधीकरण – शराब की बिक्री के फलस्वरूप अपराध व राजनीति का गहरा संबंध हो गया था। 

  • घरेलू हिंसा – शराब पीने के बाद घरेलू हिंसा में वृद्धि। 
  • शारीरिक स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव 
  • महिलाओं का शारीरिक व मानसिक शोषण 

प्रश्न 3. दलित पैंथर्स की प्रमुख माँगे कौन सी थी? 

उत्तर: 

दलित पैन्थर्स :

  • दलित समुदाय की पीड़ा व आक्रोश की अभिव्यक्ति महाराष्ट्र में 1972 में शिक्षित दलित युवाओं ने ‘दलित पैन्थर्स’ नामक संगठन बना कर की। 

माँगे :

  • जाति आधारित असमानता तथा भौतिक संसाधनों के मामले में अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ लड़ना। 
  • आरक्षण के कानून व सामाजिक न्याय की नीतियों के कारगर क्रियान्वयन की माँग। 
  • दलित महिलाओं के साथ हो रहे दुर्व्यवहार का विरोध। 
  • भूमिहीन किसानो, मजदूरों व सारे वंचित वर्ग को उनके अधिकार दिलवाना। 
  • दलितों में शिक्षा का प्रसार

प्रश्न 4. मिलान कीजिये – 

आंदोलन प्रमुख नेता 

  • नर्मदा बचाओ आंदोलन महेन्द्र सिंह टिकैत 
  • ताड़ी विरोधी आंदोलन नामदेव ढसाल 
  • भारतीय किसान यूनियन मेधा पाटेकर 
  • दलित पैंथर्स देबागुंटा रोसम्मा 

उत्तर:

नर्मदा बचाओ आंदोलन मेधा पाटेकर 

ताड़ी विरोधी आंदोलन देबागुंटा रोसम्मा 

भारतीय किसान यूनियन महेन्द्र सिंह टिकैत 

दलित पैंथर्स नामदेव ढसाल। 

प्रश्न 5. भारतीय समाज के किन वर्गों को इन आंदोलनों ने एकजुट किया ?

उत्तर: समाज के उपेक्षित वर्ग, दलित, आदिवासी, ग्रामीण महिलायें, कृषक व मजदूर वर्ग।

पाँच अंक वाले प्रश्न 

प्रश्न 1. निम्नलिखित अवतरण को पढ़ें और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें : 

… लगभग सभी नए सामाजिक आंदोलन नयी समस्याओं जैसे-पर्यावरण का विनाश, महिलाओं की बदहाली, आदिवासी संस्कृति का नाश और मानवाधिकारों का उल्लंघन… के समाधान को रेखांकित करते हुए उभरे। इनमें से कोई भी अपनेआप में समाजव्यवस्था के मूलगामी बदलाव से जुड़ा नहीं था। इस अर्थ में ये आंदोलन अतीत की क्रांतिकारी विचारधाराओं से एकदम अगल हैं। लेकिन, ये आंदोलन बड़ी बुरी तरह बिखरे हुए हैं और यही इनकी कमज़ोरी है… सामाजिक आंदोलनों का एक बड़ा दायरा ऐसी चीज़ों की चपेट में है कि वह एक ठोस तथा एकजुट जन आंदोलन का रूप नहीं ले पाता और न ही वंचितों और गरीबों के लिए प्रासंगिक हो पाता है। ये आंदोलन बिखरे-बिखरे हैं, प्रतिक्रिया के तत्त्वों से भरे हैं, अनियत हैं और बुनियादी सामाजिक बदलाव के लिए इनके पास कोई फ्रेमवर्क नहीं है। ‘इस’ या ‘उस’ के विरोध । (पश्चिम-विरोधी, पूँजीवाद विरोधी, ‘विकास-विरोधी, आदि) में चलने के कारण इनमें कोई संगति आती हो अथवा दबे-कुचले लोगों और हाशिए के समुदायों के लिए ये प्रासंगिक हो पाते हों-ऐसी बात नहीं।

क) नए सामाजिक आंदोलन और क्रांन्तिकारी विचारधाराओं में क्या अन्तर है ? 

उत्तर: अवतरण 

नये सामाजिक आंदोलन नयी समस्याओं जैसे पर्यावरण का विनाश, महिलाओं की बदहाल स्थिति, आदिवासी संस्कृति का नाश व मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित हैं जबकि क्रान्तिकारी विचारधारायें समाज व्यवस्था में मूलगामी परिवर्तन से संबंधित होती है। 

ख) लेखक के अनुसार सामाजिक आंदोलनों की सीमाएँ क्या-क्या हैं ?

उत्तर: यह सुसंगठित नहीं होते हैं न ही गरीबो व वंचितो के लिये प्रासंगिक हो सकते हैं क्योंकि इनके पास बदलाव के लिये कोई फ्रेमवर्क नहीं है।

ग) यदि सामाजिक आंदोलन विशिष्ट मुद्दों को उठाते हैं तो आप उन्हें ‘बिखरा’ हुआ कहेंगे या मानेंगे कि वे अपने मुद्दे पर कहीं ज्यादा केंद्रित है। अपने उत्तर की पुष्टि में तर्क दीजिए।

उत्तर: विशिष्ट मुद्दों को उठाने के कारण अपने मुद्दे पर केन्द्रित कहना ज्यादा उचित होगा। उदाहरण नर्मदा बचाओं आंदोलन का प्रभाव उसी क्षेत्र के लोगों से संबंधित है, उसका प्रभाव केरल या कश्मीर के लोगों पर नहीं पड़ेगा। अतः समस्यायें सुलझाने के लिये इन आंदोलनों का विशिष्ट मुद्दों पर केन्द्रित होना आवश्यक है।

छः अंक वाले प्रश्न 

प्रश्न 1. जन आंदोलन के सबक लिखिये।

उत्तर: जन आंदोलन के सबक 

  • इन आंदोलनों का उद्देश्य दलीय राजनीति की खामियो को दूर करना।
  • सामाजिक आंदोलनों ने समाज के उन नये वर्गों की सामाजिक आर्थिक समस्याओं को अभिव्यक्ति दी जो अपनी समस्याओं को चुनावी राजनीति के जरिये हल नहीं कर पा रहे थे। 
  • जनता के क्षोभ व समाज के गहरे तनावों को सार्थक दिशा दे कर लोकतंत्र की रक्षा की। 
  • सक्रिय भागीदारी के नये प्रयोग ने लोकतंत्र के जनाधार को बढ़ाया। 
  • जनता को जागरूक किया तथा लोकतांत्रिक राजनीति को बेहतर ढंग से समझने में मदद।

प्रश्न 2. मण्डल कमीशन की सिफारिशें क्या थीं? सिफारिशों के क्रियान्वयन का क्या परिणाम हुआ? 

उत्तर: मंडल आयोग की रिपोर्ट का क्रियान्वयन व उसके परिणाम

मण्डल आयोग का गठन बी.पी. मण्डल (बिंदेश्वरी प्रसाद मण्डल) की अध्यक्षता में 1979 में किया गया था। इसका उद्देश्य भारतीय समाज के विभिन्न तबको के बीच शैक्षिक तथा सामाजिक पिछड़ेपन की व्यापकता का पता लगाना था। आयोग ने 1980 को अपनी सिफारिशें दी।

  • अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को केन्द्र सरकार की नौकरियों में 27% आरक्षण। 
  • शिक्षण संस्थानों में आरक्षण 
  • पिछड़ापन वर्ग की स्थिति सुधारने के लिये भूमि सुधार।

क्रियान्वयन का परिणाम

  • आरक्षण के विरोध में उत्तर भारत के शहरों में व्यापक हिंसक प्रर्दशन हुए। इसमें छात्रों द्वारा हड़ताल, धरना, प्रर्दशन, सरकारी संपत्ति को नुकसान आदि शामिल थे। परन्तु इस विरोध का सबसे अहम पहलू बेरोज़गार युवाओं व छात्रों द्वारा आत्मदाह तथा आत्महत्या जैसी घटनायें थी। दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र राजीव गोस्वामी द्वारा सरकार के फैसले के खिलाफ सर्वप्रथम आत्मदाह का प्रयास किया गया। विरोधियों का तर्क था कि जातिगत आधार पर आरक्षण समानता के अधिकार के खिलाफ है। तमाम विरोधों के बावजूद 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री वी. पी. सिंह द्वारा ये सिफारिशें लागू कर दी गयी।

प्रश्न 3. बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना के तीन सकारात्मक तथा तीन नकारात्मक प्रभाव बताऐं। 

उत्तर:

सकारात्मक प्रभाव

  • सिंचाई के लिये जल की उपलब्धता 
  • बाढ़ व सूखे की समस्या से मुक्ति
  • क्षेत्र का विकास 

नकारात्मक प्रभाव 

  • स्थानीय लोगों के पुर्नवास की समस्या 
  • पर्यावरण को हानि 
  • आजीविका व संस्कृति पर बुरा असर 

प्रश्न 4. भारतीय किसान युनियन द्वारा चलाये जाने वाले किसान आंदोलन को सर्वाधिक सफल जन आंदोलन बनाने वाले किन्हीं छः कारकों का उल्लेख करें। 

उत्तर: 

भारतीय किसान यूनियन (BKU) 

  • 1988 के जनवरी में उत्तर प्रदेश के मेरठ में BKU के सदस्य किसानों ने धरना दिया। (महेन्द्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में)

माँगें

  • बिजली की दर में की गयी बढ़ोत्तरी का विरोध 
  • गन्ने व गेहूँ के सरकारी मूल्यों में बढ़ोतरी की माँग 
  • कृषि उत्पादों के अन्तर्राजयीय व्यापार पर लगे प्रतिबंधों को हटाने की माँग। 
  • निर्बाध विद्युत आपूर्ति की सुनिश्चितता। 
  • किसानों के लिये पेंशन का प्रावधान। 
  • किसानों के बकाया कर्ज माफ

कार्यवाही । शैली । गतिविधियाँ 

  • धरना, रैली, प्रदर्शन, जेल भरो आदि कार्यवाहियों से सरकार पर दबाब बनाया। 

विशेषताएं 

  • BKU ने किसानों की लामबंदी के लिये जातिगत जुड़ाव का इस्तेमाल किया।
  • अपनी संख्या के दम पर राजनीति में एक दबाब समूह की भांति सक्रिय। 
  • आंदोलन की सफलता के पीछे इसके सदस्यों की राजनीति, मोलभाव की क्षमता थी क्योंकि ये नकदी फसल उपजाते थे। 
  • अपने क्षेत्र की चुनावी राजनीति में इसके सदस्यों का रसूख था। महाराष्ट्र का शेतकारी संगठन व कर्नाटक का रैयतकारी संगठन किसान संगठनों के जीवन्त उदाहरण हैं।

 


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