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पाठ – 10
संविधान का राजनीतिक दर्शन
- संविधान के राजनीतिक दर्शन मे तीन बातें शामिल हैं।
- पहली बात – जिन अवधारणाओ पर संविधान की रचना की गई है उनकी व्याख्या ।
- दुसरी बात जिन आदर्शो पर संविधान का निर्माण हुआ है उनकी समझ ।
- तीसरी बात: संविधान सभा मे हुई बहसों पर चर्चा करना तथा उनकी उपयुक्तता पर विचार करना ।
भारतीय संविधान के मूल आधार भूत तत्व
- कानून का शासन
- समानता का सिद्धान्त
- संविधान की सर्वोच्चता का स्थान
- संघात्मक शासन व्यवस्था
- संसदीय शासन प्रणाली
- स्वतन्त्र व निष्पक्ष निर्वाचन
- पंथनिरपेक्षता
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता
- मूल अधिकार
- संविधान संशोधन संबंधी संसद की सीमित शक्ति
- न्यायिक पुनर्निरीक्षण की शक्ति
- राष्ट्र की एकता व अखंडता ना टूटने वाला
- अल्पसंख्यको के अधिकारो का सम्मान
- सार्वभौम मताधिकार (वोट देने का अधिकार)
भारतीय संविधान की आलोचनाएँ
- यह संविधान अस्तव्यस्त है। (बिखरा हुआ)
- संविधान भारतीय परिस्थतियों के अनुकूल नहीं है, उसके जैसाहै ।
- इसमें सबकी नुमाइंदगी नही हुई।
भारतीय संविधान की सीमाएँ
- राष्ट्रीय एकता की धारणा केन्द्रीकृत (सब कुछ केन्द्र का केंद्र के हाथों में होना) ।
- परिवार संबंधी विषयों पर उचित ध्यान नही।
- कुछ महत्वपूर्ण सामाजिक आर्थिक अधिकारो को मौलिक अधिकार न बनाकर नीति निर्देशक तत्वो मे शामिल किया गया है ।
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