पाठ – 10 संविधान का राजनीतिक दर्शन संविधान के राजनीतिक दर्शन मे तीन बातें शामिल हैं। पहली बात – जिन अवधारणाओ पर संविधान की रचना की गई है उनकी व्याख्या । दुसरी बात जिन आदर्शो पर संविधान का निर्माण हुआ है उनकी समझ । तीसरी बात: संविधान सभा मे हुई बहसों पर चर्चा करना तथा [...]
पाठ – 9 संविधान: एक जीवंत दस्तावेज संविधान संविधान को एक जीवंत दस्तावेज इसलिए कहा गया है. क्योकि संविधान गतिशील होता है। यह स्थाई या गतिहीन नही होता । संविधान का विकास कारण न्यायपालिका की व्याख्याएं संवैधानिक संशोधन संशोधन संविधान मे देश की परिस्थितियो एवं आवश्यकतानुसार जो परिवर्तन किए जाते है, संवैधानिक संशोधन कहलान है । [...]
पाठ – 8 स्थानीय शासन जब स्थानीय समस्याओं का हल उस स्थान रहने वाले  व्यक्तियों द्वारा  किया जाता है तो उसे स्थानीय स्वशासन कहते है । स्थानीय शासन का महत्व वास्तविक लोकतंत्र कार्य कुशलता स्थानीय समस्याओ का ठीक हल शक्तियों का विकेंद्रीकरण प्भ्र्स्टाचार की कमी मुख्यालय का कार्य कम   भारत मे स्थानीय शासन का [...]
पाठ – 7 संघवाद संघवाद वह व्यवस्था हैजिसमे सारी शक्तियों को केन्द्र सरकार तथा  राज्य सरकार को बीच इस प्रकार बाँटा जाता है जिससे दोनो सरकार स्वतंत्र रूप से कार्य कर सके। लक्षण लिखित संविधान कठोर संविधान शक्तियों का विभाजन स्वतंत्र न्याय पालिका विधान मंडल मे दो सदन दोहरी नागरीकता गुण बड़े -बड़े देशो के [...]
पाठ – 6 न्यायपालिका न्यायपालिका न्यायपालिका सरकार का महत्वपूर्ण तीसरा अंग है जिसे विभिन्न व्यक्तियों या निजी संस्थाओं ने आपसी विवादों को हल करने वाले पंच के रूप में देखा जाता है कि कानून के शासन की रक्षा और कानून की सर्वोच्चता को सुनिश्चित करें। इसके लिये यह जरूरी है कि न्यायपालिका किसी भी राजनीतिक [...]
पाठ – 5 विधायिका विधायिका किसे कहते हैं?  विधायिका (Legislature) या विधानमंडल किसी राजनैतिक व्यवस्था के उस संगठन या ईकाई को कहा जाता है जिसे क़ानून व जन-नीतियाँ बनाने, बदलने व हटाने का अधिकार हो। किसी विधायिका के सदस्यों को विधायक (legislators) कहा जाता है।  विधायिका के प्रकार:- विधायकों के दो निम्नलिखित प्रकार हैं; 1) [...]
पाठ – 4 कार्यपालिका कार्यपालिका क्या है? गिलक्राइस्ट के अनुसार -”कार्यपालिका सरकार का वह अंग है जो कानून के रूप में अभिव्यक्त जनता की इच्छा को कार्य में परिणत करती है। यह वह धुरी भी है जिसके चारों ओर राज्य का वास्तविक प्रशासन घूमता है।” मेक्रिडीस के अनुसार – “राजनीतिक कार्यपालिका, राजनीतिक समाज के शासन [...]
पाठ – 3 चुनाव और प्रतिनिधित्व चुनाव चुनाव वह व्यवस्था है, जिसके द्वारा किसी देश के लोग अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं। लोकतंत्र में चुनाव का महत्व मतदाताओं और प्रतिनिधियों में सीधा संपर्क प्रतिनिधियों में उत्तरदायित्व की भावना लोगों को राजनीतिक शिक्षा अधिकारों व कर्तव्यों का ज्ञान राजनीति में रुचि  समानता की भावना चुनाव [...]
पाठ – 2 भारतीय संविधान में अधिकार अधिकार :- अधिकार वे दावे होते हैं जिनको समाज मान्यता देता है और राज्य संरक्षण प्रदान करता है। अधिकार राज्य द्वारा व्यक्ति को दी गई कुछ कार्य करने की स्वतंत्रता या सकारात्मक सुविधा है। अधिकारों की आवश्यकता :- अधिकारों के बिना मनुष्य सभ्य जीवन व्यतीत नहीं कर सकता। [...]
संविधान : क्यों और कैसे  संविधान: संविधान ऐसे सिद्धांतों का समूह जिसके अनुसार एक देश की शासन की व्यवस्था को चलाया जाता है तथा राज्य और नागरिकों के बीच संबंध स्थापित किया जाता हैं।  संविधान की आवश्यकता/ विशेषताएं/ जरूरत संविधान एक देश का सर्वोच्च कानून होता है।  संविधान द्वारा एक देश में उपस्थित सरकार की [...]