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पाठ – 5

विधायिका

विधायिका किसे कहते हैं? 

  • विधायिका (Legislature) या विधानमंडल किसी राजनैतिक व्यवस्था के उस संगठन या ईकाई को कहा जाता है जिसे क़ानून व जन-नीतियाँ बनाने, बदलने व हटाने का अधिकार हो। किसी विधायिका के सदस्यों को विधायक (legislators) कहा जाता है। 

विधायिका के प्रकार:-

विधायकों के दो निम्नलिखित प्रकार हैं;

1) संघ की विधायिका ( केंद्र में संसद) 

2) राज्य की विधायिका ( राज्य में राज्य विधानमंडल) 

1. संघ की विधायिका:-

  • संघ की विधायिका को संसद कहा जाता है  यह राष्ट्रपति और दो सदन ; जो राज्य परिषद ( राज्य सभा ) और जनता का सदन ( लोक सभा ) से बनती है।
  • विधायिका का चुनाव जनता द्वारा होता है । इसलिए यह जनता का प्रतिनिधी बनकर कानून का निर्माण करता है । इसकी बहस विरोध प्रदर्शन . बहिर्गमन . सर्वसम्मति सरोकार और सहयोग आदि अत्यंत जीवन्त बनाए रखती है।
  • लोकतंत्रीय शासन में विधायिका का महत्व बहुत अधिक होता है । भारत में संसदीय शासन प्रणाली अपनायी गयी है जो कि ब्रिटिश प्रणाली पर आधारित हैं ।

संसद के अंग:-

  • राज्यसभा
  • लोकसभा
  • राष्ट्रपति

संविधान के अनुच्छेद 76 के अनुसार भारतीय राष्ट्रपति को भी संसद में दो सदनों के साथ – सम्मिलित किया जाता हैं।

संसद की आवश्यकता:-

  • भारतीय लोकतंत्र में संसद जनता की सर्वोच्च प्रतिनिधि संस्था है। इसी माध्यम से आम लोगों की संप्रभुता को अभिव्यक्ति मिलती है। 
  • संसद ही इस बात का प्रमाण है कि हमारी राजनीतिक व्यवस्था में जनता सबसे ऊपर है, जनमत सर्वोपरि है। 
  •  ‘संसदीय’ शब्द का अर्थ ही ऐसी लोकतंत्रात्मक राजनीतिक व्यवस्था है जहाँ सर्वोच्च शक्ति लोगों के प्रतिनिधियों के उस निकाय में निहित है जिसे ‘संसद’ कहते हैं। 

संसद के कार्य :-

1.कार्यपालिका का नियंत्रण:- 

  • संसद का एक महत्त्वपूर्ण कार्य है मंत्रिपरिषद् की चूक और वचनबद्धता की जवाबदेही तय करते हुए उस पर अपने नियंत्रण के अधिकार का प्रयोग करना। धारा 75(3) में स्पष्ट कहा गया है कि मंत्रिपरिषद तभी तक कार्यरत रह सकती है, जब तक उसे लोकसभा का विश्वास प्राप्त है। संसद का यह महत्त्वपूर्ण कार्य एक जवाबदेह शासन को सुनिश्चित करता है।

2. कानून बनाना:-

  • कानून बनाना किसी भी विधानमंडल का प्रधान कार्य है। भारत की संसद उन तमाम विषयों पर कानून बनाती है, जो संघ सूची और समवर्ती सूची (राज्य और केंद्र, दोनों की सूची में शामिल विषय) में शामिल हैं।

3. वित्त का नियंत्रण:-

  • संसद, खासकर लोकसभा वित्त के कार्यक्षेत्र में महत्त्वपूर्ण अधिकारों का प्रयोग करती है। विधायिका को यह सुनिश्चित करना होता है कि सार्वजनिक निधि की उगाही और व्यय उसकी अनुमति से हो।

4. विमर्श शुरू करना:- 

  • सभी महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक नीतियों की चर्चा सदन के पटल पर होती है। लिहाजा न केवल मंत्रिमंडल संसद का परामर्श हासिल करता है और अपनी खामियों के बारे में जानता है, बल्कि पूरे देश को भी सार्वजनिक महत्त्व के विषयों के बारे में जानकारी मिलती है।

5. संवैधानिक कार्य

  • संविधान के अंतर्गत संसद एकमात्र निकाय है, जो संविधान में संशोधन के लिए कोई प्रस्ताव पेश कर सकता है। संशोधन का प्रस्ताव किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) में पेश किया जा सकता है।

6. निर्वाचन संबंधी कार्य

  • संसद राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में भी भाग लेती है। यह अपनी समितियों के विभिन्न सदस्यों, पीठासीन पदाधिकारियों और उप पीठासीन पदाधिकारियों को भी चुनती है।

7. न्यायिक कार्य

  • संसद के पास राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सुप्रीम व हाई कोर्ट के जजों के साथ-साथ संघ व राज्य लोक सेवा आयोगों के अध्यक्षों तथा सदस्यों और सीएजी पर महाभियोग चलाने का अधिकार है।

 संसद के दो सदन:-

भारतीय संसद के दो सदन हैं जो निम्नलिखित हैं:-

1) लोकसभा

2) राज्यसभा

लोकसभा:- 

  • लोकसभा, संवैधानिक रूप से लोगों का सदन, भारत की द्विसदनीय संसद का निचला सदन है, जिसमें उच्च सदन राज्य सभा है। 
  • लोकसभा के सदस्य अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक वयस्क सार्वभौमिक मताधिकार और एक सरल बहुमत प्रणाली द्वारा चुने जाते हैं, और वे पांच साल तक या जब तक राष्ट्रपति केंद्रीय मंत्री परिषद् की सलाह पर सदन को भंग नहीं कर देते, तब तक वे अपनी सीटों पर बने रहते हैं। 
  • सदन संसद भवन, नई दिल्ली के लोकसभा कक्ष में मिलता है।
  • लोकसभा में 543 सीटे होती है।

लोकसभा की शक्तियां व कार्य :- 

  • संघ सूची और समवर्ती सूची के विषय पर कानून बनाती है और मान विधायकों तथा सामान्य विधेयकों को प्रस्तुत और पारित करती है।
  • सरकार के कर प्रस्तावों, बजट और वार्षिक वित्तीय वक्तव्यों की स्वीकृति देती है।
  • राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करती है तथा सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटा सकती है।
  • समिति और आयोगों का गठन करती है और उनके प्रतिवेदनों पर विचार करती है।
  • आपातकाल की घोषणा को स्वीकृति देती है तथा संविधान में संशोधन करती है।

राज्यसभा :-

  • राज्य सभा , संवैधानिक रूप से राज्यों की परिषद ( अनौपचारिक रूप से बुजुर्गों के घर के रूप में जाना जाता है ), भारत की द्विसदनीय संसद का ऊपरी सदन है ।
  • इसकी अधिकतम सदस्यता 245 है, जिनमें से 233 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं द्वारा ओपन बैलेट के माध्यम से एकल हस्तांतरणीय वोटों का उपयोग करके चुने जाते हैं, जबकि राष्ट्रपति कला, साहित्य, विज्ञान और में उनके योगदान के लिए 12 सदस्यों को नियुक्त कर सकते हैं।
  • राज्यसभा नई दिल्ली में संसद भवन में नामित कक्ष में मिलती है । 18 जुलाई 2018 से, राज्य सभा में भारत की सभी 22 अनुसूचित भाषाओं में एक साथ व्याख्या की सुविधा है । 

राज्यसभा की शक्तियां व कार्य :-

  • सामान्य विधेयक पर विचार विमर्श कर उन्हें पारित करती है और धन विधेयक में संशोधन प्रस्तावित करती है।
  • संवैधानिक संशोधनों को पारित करती है।
  • प्रश्न पूछ कर तथा संकल्प तथा प्रस्ताव प्रस्तुत करके कार्यपालिका पर नियंत्रण करती है।
  • राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेती है तथा उन्हें सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को पद से हटा सकती है। उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव केवल राज्यसभा में ही लाया जा सकता है।
  • यह संसद को राज्य सूची के विषय पर कानून बनाने का अधिकार दे सकती है।

2) राज्य की विधायिका ( राज्य में राज्य विधानमंडल) 

  • संसद हमारी राष्ट्रीय विधायिका है ; राज्यों की विधायकों को विधानमंडल कहते हैं। भारतीय संसद में दो सदन है ।
  • दो सदन वाली विधायिका को ही द्वि-सदनात्मक विधायिका कहते हैं ; भारतीय संसद के एक सदन को राज्यसभा तथा दूसरे सदन को लोकसभा कहते हैं।
  • भारतीय संविधान में राज्यों को एक – सदनात्मक या द्वि – सदनात्मक विधायिका स्थापित करने का विकल्प दिया है।
  • भारत में अब केवल पांच राज्यों में ही द्विसदनात्मक विधायिका है जो निम्नलिखित हैं:- 

1) जम्मू और कश्मीर

2) बिहार

3) कर्नाटक

4) महाराष्ट्र

5) उत्तर प्रदेश

संसद में 2 सदनों की क्या आवश्यकता है? 

  • भारत जैसे विविधताओं से परिपूर्ण बड़े देश में द्वि – सदनात्मक राष्ट्रीय विधायिका की जरूरत इसलिए हैं , ताकि इसलिए समाज के सभी वर्गों और देश के सभी क्षेत्रों को समुचित प्रतिनिधित्व दिया जा सके ।
  • द्वि – सदनात्मक विधायिका का एक और लाभ यह है कि संसद के प्रत्येक निर्णय पर दूसरे सदन में पुनर्विचार हो जाता है ।
  • एक सदन द्वारा लिया गया प्रत्येक निर्णय दूसरे सदन के निर्णय के लिए भेजा जाता है । इसका लाभ यह है कि प्रत्येक विधेयक और नीति पर दो बार विचार होता है । इससे प्रत्येक मुद्दे को दो बार जाँचने का अवसर प्राप्त होता है ।
  • यदि एक सदन जल्दबाज़ी में कोई निर्णय ले लेता है तो दूसरे सदन में बहस के दौरान उस पर पुनर्विचार करना संभव हो पाता है।

संसद कानून कैसे बनाती है? 

  • सरकारी या गैर सरकारी विधेयक
  • विधेयक यदि वित्त विधेयक नहीं है तो उसे किसी एक सदन में पेश किया जाता है। 
  • विधेयक समिति के पास भेजा जाता है या उस पर सदन में चर्चा होती है।
  • समिति रिपोर्ट देती है 
  • सदन इस रिपोर्ट को स्वीकार या अस्वीकार करता है 
  • सदन में विधेयक पर विस्तृत चर्चा होती है
  • विधेयक या तो पारित होता है या रद्द हो जाता है
  • विधेयक दूसरे सदन में भेजा जाता है 
  • दूसरा सदन या तो इसे मंजूरी देता है या इस पर सुझाव भेजता है अन्यथा जरूरत पड़ने पर संसद की संयुक्त बैठक बुलाई जाती है
  • राष्ट्रपति विधेयक को मंजूरी देता है या उसे पुनर्विचार के लिए लौटा देता है
  •  राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने पर विधेयक कानून बन जाता है। 

नोट:- वित्त विधेयक केवल लोकसभा में पेश किया जाता है । राज्यसभा वित्त विधेयक नहीं कर सकती।

प्रश्नकाल :-

  • जब संसद का अधिवेशन चल रहा होता है तो उस समय प्रतिदिन प्रश्नकाल आता है जिसमें मंत्रियों को सदस्यों के तीखे प्रश्नों का जवाब देना पड़ता है।
  • प्रश्नकाल सरकार की कार्यपालिका और प्रशासकीय एजेंसियों पर निगरानी रखने का सबसे प्रभावी तरीका है।

शून्यकाल :-

  • इसमें संसद सदस्य किसी भी महत्वपूर्ण मुद्दे को उठा सकते हैं पर मंत्री उसका उत्तर देने के लिए बाध्य नहीं होते हैं लोकहित के विषयों पर आधे घंटे की चर्चा और स्थगन प्रस्ताव आदि का भी विधान है।

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