पाठ – 8
स्थानीय शासन
जब स्थानीय समस्याओं का हल उस स्थान रहने वाले व्यक्तियों द्वारा किया जाता है तो उसे स्थानीय स्वशासन कहते है ।
स्थानीय शासन का महत्व
- वास्तविक लोकतंत्र
- कार्य कुशलता
- स्थानीय समस्याओ का ठीक हल
- शक्तियों का विकेंद्रीकरण
- प्भ्र्स्टाचार की कमी
- मुख्यालय का कार्य कम
भारत मे स्थानीय शासन का विकास (स्वतंत्रता के बाद)
बलवन्त राय मेहता समिति (1956)
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अध्यक्ष: –
- बलवन्त राय मेहता
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काम: –
- स्थानीय शासन हेतु सिफारिशें देना
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परिणाम: –
- तीन स्तरीय स्वायत्तशासी स्थानीय समितियों का निर्माण
नगरपालिका
- नगर पंचायत
- नगर परिषद
- नगर निगम
पंचायती राज
- ग्राम पंचायत
- पंचायत समिति
- जिला परिषद
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सादिक अली समिति(1964)
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अध्यक्ष: –
- सादिक अली
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काम: –
- पंचायती राज संस्थाओ के कार्य संचालन पर रिपोर्ट देना
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परिणाम: –
- सन् 1964 मेरिपोर्टदी
नगरीय क्षेत्र ग्रामीण क्षेत्र
- गैर सरकारी नेतृत्व अप्रभावी
- जनता की आकांक्षाओ और सरकार की प्राथमिकता मेल नही
- अज्ञानता व गरीबी की वजह से रूचि नहीं
- सरकारी कर्मचारियो का अधिक प्रभाव
अशोक मेहता समिति
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अध्यक्ष: –
- अशोक मेहता
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काम: –
- समस्याओं का समाधान ढूंढे
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परिणाम: –
- भेजी गई सिफारिशें
- अधिक शक्तिशाली बनाएं
- ग्रामपंचायत समाप्त हो
- चुनाव राजना/ तक आधार पर हो
- जिला अधिकारी, जिला परिषद् के नियत्रण हो ।
- भेजी गई सिफारिशें
नोट: – अंत मे सभी सिफारिशे अस्वीकार ।
73 वाँ संवैधानिक संशोधन (पंचायती राज से सबधित)
लोकसभा द्वारा समिति का गठन
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20 सदस्य लोकसभा
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10 सदस्य राज्यासभा
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अध्यक्ष: –
- नाथूराम मिर्या
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परिणाम: –
- समिति की सिफारिशे 24/4/1993 से लागू
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विशेषताएँ: –
- स्थानीय संस्थाओ को मान्यता
- ग्राम सभा की परिभाषा
- पंचायत की परिभाषा
- तीन स्तरीय पंचायती राज प्रणाली
- पंचायतो की बनावट
- अध्यक्ष का चुनाव और पदच्युति
- स्थानों का आरक्षण
भारत में पंचायती राज व्यवस्था
ग्राम सभा
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रचना: –
- एक ग्राम पंचायत के क्षेत्र मे मौजूद सभी मतदाता मिलकर ग्राम सभा का निर्माण करते है।
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बैठके:-
- वर्ष मे दो सामान्य बैठक आवश्यक
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गणपूर्ति: –
- कार्यवाही करने के लिए कुल सदस्यों का पाँचवा भाग होना आवश्यक है
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कार्य: –
- बजट व पिछले वर्ष की लेखा रिपोर्ट पर सोच विचार
- विकास योजना बनाना
- पंचायत का चुनाव व पदच्युति
- शिक्षा व सामाजिक कल्याण के कार्यों बढाव देना
- लोगो के मध्य सहयोग व एकता बढ़ाना
ग्राम पंचायत
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रचना: –
- हिमाचल प्रदेश से 1000 आबादी वाले हर गांव मे ग्राम पंचायत, आबादी कम होने पर संयुक्त एक प्रधान (सरपंचा), उप प्रधान (उप-सरपंच)के अतिरिक्त 5 से 13 तक सदस्य, महिलाओं हेतु 1/3 आरक्षण ।
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सदस्य की योग्यताएँ: –
- भारत का नागरिक हो ।
- 21 वर्ष पूर्ण आयुहो ।
- गाँव मे एक वर्ष से रह रहा हो ।
- मतदाता सूची मे नाम हो ।
- सरकारी कर्मचारी न हो ।
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अवधि: –
- 5 वर्ष, ग्राम सभा 213 बहुमत से हटा सकती है ।
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अध्यक्ष: –
- पंचायत के अध्यक्ष को सरपंच कहते हैं चुनाव लोगों द्वारा होता है। तथा निषयक मत का अधिक होता है।
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बैठके: –
- हर महीने मे एक बार अवश्य
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कार्य व शक्तियाँ: –
- प्रशासनिक कार्य
- सार्वजनिक कल्याण कार्य
- विकास सबधि कार्य
- न्याय सबधि
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पंचायतो की आय के साधन: –
- लगान का 10%
- गृह कर
- गाँव की साँझी भूमि से आय
- अपराधी पर जुर्माना
- गाँव मे आयोजित मेलो, मंडियो पर कर
- राज्य सरकार द्वारा सहायता
- लाइसेंस फीस
पंचायत समिति
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रचना: –
- क्षेत्र मे से प्रत्येक 3000 पर एक व्यक्ति ।
- क्षेत्र से चुने गए राज्यसभा, लोकसभा व विधानसभा. के सदस्य ।
- क्षेत्र में आने वाली सभी पंचायतो के प्रधानों को पाँचव भाग।
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योग्यताएँ: –
- दिवालिया या पागल न हो ।
- भारत का नागरिकहो।
- 2 वर्ष पूर्ण हो ।
- सरकारी पद पर न हो ।
- न्यायालय द्वारा अयोग्य घोषितन किया गया हो।
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अवधि: –
- 5 वर्ष, सरकार पहले भंग कर सकती है ।
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अध्यक्ष: –
- पंचायत समिति के सदस्य अपने मे से एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष चुनते है और इस 213 बहुमत द्वारा हटाया भी जा सकता है।
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बैठके: –
- एक महीने मे एक बार बैठक अवश्य ।
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कार्य व शक्तियाँ: –
- पंचायतो के कार्यो की देखरेख
- भूमि सुधार कार्यकर्मो को लागू करना
- सफाई व स्वास्थ्य का उचित प्रबंध
- सामुदायिक विकास परियोजनाओं को लागू करना
- संकट के समय आर्थिक सहायता
- सरकारी संपत्ति का प्रबंध व देखरेख
- जन्म-मरण संबंधी ब्यौरा
- पेंशनो पर निगरानी
- सामाजिक बुराइयों को दूर करने का प्रयास
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आय के साधन: –
- स्थानीय करो मे भाग
- मेलो तथा मंडीयो से आय
- लाइसेंस फीस
- सरकारी अनुदान
- संपत्ति से आय
- भू राजस्व
जिला परिषद्
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रचना:-
- प्रत्यक्ष तौर पर चुने गए सदस्य, हर 20000″व्यक्तियो के लिए 1 व्यक्ति
- जिले से चुने गए विधानसभा, लोकसभा व राज्यसभा के सदस्य ग्रामीण
- पंचायत समितियों के अध्यक्ष
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अवधि: –
- 5 वर्ष, सरकार भंग कर सकती है।
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अध्यक्ष: –
- सदस्यो द्वारा अपने मे से ही एक प्रधान व उप- प्रथान का चयन किया जाता है।
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बैठके:-
- वर्ष मे चार बार अवश्य
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निर्णय: –
- बहुमत द्वारा, निर्णायक मत अध्यक्ष का
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स्थायी समितियाँ: –
- सामान्य स्थायी समिति
- ‘वित्त और योजना समिति
- सामाजिक न्याय समिति
- शिक्षा और स्वास्थ्य समिति
- कृषि व उद्योग समिति
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कार्य व शक्तियाँ: –
- पंचायत समितियों मे मेल बिठाना
- वार्षिक बजट पर विचार
- पंचायत समितियों के कार्यों पर निगरानी
- विकास संबंधी कार्य
- ग्रामीण बागो व पार्को का विकास
- स्कुलो का प्रबंधन
- सरकारी विकास योजनाएं लागू करना
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आय के साधन: –
- स्थानीय कर
- सरकार द्वारा अनुदान
- संपत्तिद्वारा आय
- चंदोद्वारा
- अखिल भारतीय संस्थाओ द्वारा
पंचायती राज का महत्व
- जनता का राज
- प्रत्यक्ष लोकतंत्र
- आत्मनिर्भरता
- आत्मविश्वास
- बाहरी हस्तक्षेपकम
- स्वतंत्रता की भावना का उदय
- गांवों की समस्याओ का समाधान
- लोगो को शिक्षा
समस्याएँ एवं दोष
- अशिक्षा
- अज्ञानता
- सांप्रदायिकता
- गुटबंदी
- राजनीतिक दलो का अनुचित हस्तदोप
- धन का आभाव
- लापरवाह कर्मचारी
- चुनावो का समय पर न होना
दोष दूर करने के उपाय
- शिक्षा का प्रसार
- सदस्यो का प्रशिक्षण
- योग्य व ईमानदार कर्मचारी
- धन की अधिक सहायता
- नियमित चुनाव
- राजनीतिक दलो पर रोक
शहरी विकास व स्थानीय स्वशासन
शहरो की समस्याएँ
- मकान व आवास
- गन्दी बस्तियाँ
- अनधिकृत बस्तियाँ
- दूषित वातावरण
- पीने के पानी की कमी
- सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी संस्थाओं की कमी।
74 वाँ सवैधानिक संशोधन
विशेषताएं
- शहरी स्वशासन को संवैधानिक मान्यता
- तीन स्तरीय स्थानीय व्यवस्था
- प्रत्येक वर्ग को प्रतिनिधित्व
- वार्ड समिति
- सीटो मे आरक्षण
- वित्त आयोग का गठन व कार्य
- सदस्यो की योग्यताएँ
- कर लगाना
- जिला योजनाबंदी
- नगरपालिका के चुनाव संबंधी व्यवस्था
नगरपालिका निर्माण
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निर्माण: –
- नगर पंचायत, नगरपालिका समिति – 10 से 20 हजार
- नगरपालिका परिषदे – 20 हजार से 3 लाख
- नगर निगम – 3 लाख से अधिक
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बनावट: –
- क्षेत्र सरकार द्वारा निश्चित होगा और वार्ड कहा जाएगा, वार्ड के लोगो द्वारा अपना प्रतिनिधि चुना जाएगा।
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योग्यताएँ: –
- भारत का नागरिक हो ।
- 21वर्ष पूर्ण हो ।
- लाभदायक पद पर न हो ।
- मतदाता सूची मे नाम हो।
- पागल या ढीव लिया हो ।
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अवधि: –
- 5 वर्ष., सरकार भंग कर सकती है।
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अध्यक्ष:–
- सदस्यो द्वारा स्वयं मे से चुना जाता है अविश्वास पत्रद्वारा हटा सकते है।
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बैठक: –
- माह मे एकबार बैठक अनिवार्य।
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कार्य: –
- अनिवार्य
- सफाई
- स्वास्थ्य संबधी
- सड़के तथा पुल
- शिक्षा
- पानी व बिजली
- आग बुझाने का प्रबंध
- जन्म व मृत्यु रजिस्ट्रेशन
- तांगो व रिक्शो को लाइसेंस
- ऐच्छिक कार्य
- यातायात व्यवस्था
- गरीबो हेतु गृह निर्माण
- खेल के मैदान, पार्क आदि की व्यवस्था
- मकानों के नक्शे पास करना
- मेलो, प्रदशनियों व खेलो का संबंध
- अनिवार्य
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आय के साधन: –
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- चुंगीकर
- मकानो पर कर
- लाइसेंस फीस
- टोल टैक्स
- मनोरंजन कर
- जुर्माने
- राज्य सरकार से सहायता
- संपत्ति से आय
-
नगर निगम
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संगठन: –
- नगर निगम के अधिकतम सदस्यों की संख्या निश्चित होती है। जिसमे वरिष्ठ नागरिक भी शामिल होते है। और उन्हें उपराज्यपाल निर्वाचित करता है हर राज्य मे व्यवस्था अलग -अलग होती है।
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कार्यकाल: –
- 5 वर्ष,
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नगरनिगम के अधिकारी: –
- नगर निगम को सर्वोच्चा पदाधिकारी महापौर (मेयर) कहलाता है। प्रत्येक वर्ष सदस्य इसका निर्वाचन करते है।
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महापौर के कार्य: –
- बैठको की अध्यदोता
- अनुशासन बनाए रखना
- राज्य व निगम के मध्य कड़ी
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आयुक्त: –
- प्रमुख अधिकारी, नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा कार्यकाल 5 वर्ष
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कार्य: –
- पूर्ण निगम आयुक्त की अधीनता मे
- बजट तैयार करना
- मार्गदर्शन
- प्रत्येक सदस्यकी रिपोर्ट
- कार्य अनिवार्य
- जल की पूर्ति
- बिजली व्यवस्था
- सड़को का निर्माण
- सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों की व्यवस्था
- जन्म, मृत्यु पंजीकरण
- ऐच्छिक कार्य
- बाग बगीचो का निर्माण
- विवाह पंजीकरण
- विकलांगो की सहायता
- सड़को के किनारे वृक्ष लगाना
- भूमि संरक्षण कार्य
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आय के स्त्रोत: –
- सम्पत्ति कर
- गृहकर
- व्यवसाय कर
- मनोरंजन कर
- यातायात शुल्क
- लाइसेंस फीस
- केन्द्र व राज्यो से प्राप्त अनुदा
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