Spread the love

पाठ – 5

सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप

इस पोस्ट में क्लास 12 के नागरिक सास्त्र के पाठ 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप (Patterns of Social Inequality and Exclusion) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं नागरिक सास्त्र विषय पढ़ रहे है।

Board CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
Textbook NCERT
Class Class 12
Subject Sociology
Chapter no. Chapter
Chapter Name सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप (The Market as a Social Institution)
Category Class 12 Sociology Notes in Hindi
Medium Hindi
Table of Content
1. पाठ – 5

2. सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप

2.1. भारत और सामाजिक विषमता और समानता
2.2. सामाजिक असमानता
2.3. सामाजिक स्तरीकरण

2.4. पूर्वाग्रह

2.4.1. उदाहरण के लिए
2.5. सामाजिक बहिष्कार
2.6. भारत और बहिष्कार

2.7. जाति व्यवस्था

2.7.1. अन्य पिछड़ा वर्ग

2.8. अस्पृश्यता

2.8.1. अस्पृश्यता के आयाम

2.9. जनजातियां

2.9.1. भेदभाव खत्म करने के लिए उठाए गए कदम

2.10. स्त्रियों के अधिकार

2.10.1. स्त्रियों की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए चलाए गए आंदोलन
2.11. विकलांगता अक्षमता
3. More Important Links

भारत और सामाजिक विषमता और समानता

  • भारत में जन्मे प्रत्येक व्यक्ति के लिए सामाजिक विषमता या असमानता एक आम बात है
  • हम सभी ने हमारे देश में अनेकों वर्गों के लोगों को देखा है कुछ ऐसे लोग जो कि बहुत ज्यादा गरीब है एवं उसे के विपरीत कुछ ऐसे लोग जो बहुत ज्यादा अमीर है इसी स्थिति को सामाजिक विषमता यह समानता कहां जाता है
  • भारत में सामाजिक असमानता या विषमता काफी बड़े स्तर पर मौजूद है
  • यह सामाजिक असमानता है विषमता प्राकृतिक रूप से नहीं बल्कि भारतीय समाज की ही देन है

सामाजिक असमानता

  • वह स्थिति जब देश में उपलब्ध संसाधनों तक देश के सभी नागरिकों की बराबर पहुंच ना हो सामाजिक विषमता यह समानता कहलाती है
    • देश में उपलब्ध संसाधन जैसे कि शिक्षा धनसंपदा स्वास्थ्य शक्ति आदि
  • इस स्थिति में समाज के 1 वर्ग के पास अनेकों संसाधन होते हैं जबकि दूसरी ओर अन्य लोगों के पास लगभग ना के बराबर संसाधन होते हैं इससे देश में गरीबी और अमीरी की स्थिति पैदा होती हैं
    • इसमें कुछ ऐसे लोग होते हैं जिनके पास पर्याप्त संसाधन होते हैं इस वजह से देश में गरीब अमीर और मध्यम वर्ग का उदय होता है
    • हमारे देश में आपको सामाजिक विषमताओं कि कई उदाहरण देखने को मिल जाएंगे जैसे के जाति के आधार पर भेदभाव किया जाना महिलाओं को उनके अधिकार ना दिए जाना आदिवासियों को पर्याप्त सुविधा उपलब्ध न होना
  • इस स्थिति में अमीर एक सहज जीवन जीते हैं जबकि गरीब लोगों को कष्टों से भरा जीवन गुजारना पड़ता है
  • यह सामाजिक विभिन्नता या विषमता प्राकृतिक नहीं है यह समाज के नियमों और उसके कार्य करने के तरीके से ही उत्पन्न होती है

सामाजिक स्तरीकरण

  • हर समाज के अंदर लोग विभिन्न स्तरों पर बटे होते हैं इसमें से कुछ स्तर उच्च माने जाते हैं एवं कुछ को नीचा माना जाता है
  • समाज की वह व्यवस्था जो समाज में लोगों का वर्गीकरण करते हुए उन्हें ऊंचे या नीचे स्तरों में बांटती है सामाजिक स्तरीकरण कहलाती हैं
  • सामाजिक स्तरीकरण के अनुसार वर्गों को अलग-अलग स्थिति प्राप्त होती है किसी वर्ग को ऊंचा माना जाता है जबकि किसी वर्ग को उससे नीचा माना जाता है और कुछ वर्गों को सबसे नीचे वर्गों का दर्जा दिया जाता है
  • समाज का यह स्तरीकरण अथवा बटवारा पीढ़ी दर पीढ़ी बना रहता है और यह वर्तमान पीढ़ी से भविष्य की पीढ़ी में स्थानांतरित हो जाता है
  • इस सामाजिक स्तरीकरण या बंटवारे को लोगों के विश्वास और उनके विचार धाराओं के कारण बल मिलता है और इसी वजह से यह समाज में बना रहता है

पूर्वाग्रह

  • पूर्वाग्रह का शाब्दिक अर्थ होता है पूर्व निर्णय अर्थात पहले ही निर्णय ले लेना
  • पूर्वाग्रह उस स्थिति को कहा जाता है जब हम किसी व्यक्ति या समुदाय की वर्तमान स्थिति को जाने बिना पुरानी कुछ बातों के आधार पर उस समुदाय का व्यक्ति के लिए अपनी राय बना लेते हैं
  • उदाहरण के लिए

    • भारतीय समाज में कुछ समुदायों को वीर एवं सांसी माना जाता है
    • जबकि ऐसे कुछ समुदाय हैं जिन्हें समाज में सामान्य माना जाता है
    • कुछ समुदायों को पूर्ण रूप से व्यापार से जोड़कर देखा जाता है
    • जबकि कुछ अन्य समुदायों को पूर्ण रूप से धार्मिक विषयों से जोड़कर देखा जाता है
    • इन सभी समुदायों के लोग वर्तमान स्थिति में अलग-अलग कार्यों से जुड़े हो सकते हैं परंतु इन पूर्वाग्रहों के कारण इन सभी को इनकार्यों से जुड़ा हुआ माना जाता है

सामाजिक बहिष्कार

  • सामाजिक बहिष्कार समाज की व्यवस्था या तौर तरीके हैं जिनसे किसी एक व्यक्ति या समुदाय को समाज में पूरी तरह से घुलने मिलने से रोका जाता है यानी एक विशेष समुदाय या व्यक्ति को समाज से अलग रखने के प्रयास किए जाते हैं
  • बहिष्कार के अंदर वह सभी कारण शामिल होते हैं जिस वजह से समाज के एक वर्ग या व्यक्ति को उन सभी अवसरों और संसाधनों से दूर रखा जाता है जो समाज के बाकी लोगों के लिए आसानी से उपलब्ध है
  • क्रियाशील और भरपूर जीवन जीने के लिए एक व्यक्ति को अपनी मूलभूत आवश्यकता हो जैसे कि रोटी कपड़ा और मकान के साथ-साथ कुछ अन्य सेवाओं जैसे कि शिक्षा स्वास्थ्य यातायात बीमा बैंक पुलिस आदि की भी जरूरत होती है परंतु सामाजिक बहिष्कार के कारण व्यक्ति किसी तरह रोटी कपड़ा और मकान की व्यवस्था तो कर लेता है परंतु अन्य सुविधा उसको उपलब्ध नहीं हो पाती उस तरह एक भरपूर जीवन नहीं जी पाता
  • सामाजिक बहिष्कार अचानक नहीं होता यह हमारे समाज की संरचना यानी हमारे समाज की बनावट का ही नतीजा है दूसरे शब्दों में समझें तो जिस तरह से हमारे समाज को बनाया गया है उसी वजह से बहिष्कार का जन्म होता है
  • जब एक लंबे समय तक कुछ समूह को मुख्यधारा से बाहर रखा जाता है तो वह मुख्यधारा में शामिल होने के प्रयास करना भी बंद कर देते हैं उदाहरण के लिए प्राचीन भारत में जब एक लंबे समय तक उच्च जाति के हिंदुओं ने निम्न जाति के लोगों के मंदिर जाने पर पाबंदी लगाई तो कुछ समय बाद इन लोगों ने हिंदू मंदिरों में जाने के प्रयास करना और मांग करना छोड़ दिया एवं अपने लिए अलग मंदिर बना ली या बौद्ध ईसाई और इस्लाम जैसे धर्मों का अपना लिया

भारत और बहिष्कार

  • भारत में बहिष्कार की व्यवस्था एक लंबे समय से स्थित है प्राचीन समय में भारत में ब्राह्मणवादी व्यवस्था ने दलित एवं चांडाल लोगों का अस्पृश्यता के नाम पर बहिष्कार किया जबकि वर्तमान भारत में गरीबों का अन्य क्षेत्रों में बहिष्कार किया गया
  • हम मुख्य रूप से चार समूह के बारे में चर्चा करेंगे जो भारत में सामाजिक विषमता और बहिष्कार का शिकार रहे हैं दलित पूर्व अछूत जातियां आदिवासी अर्थात जनजातियां महिलाएं अन्यथा सक्षम लोग

जाति व्यवस्था

  • भारत में जाति व्यवस्था का एक लंबा इतिहास रहा है
  • इन जातियों का निर्धारण व्यक्ति द्वारा किए जा रहे कार्य के आधार पर होता है और यह जातियां जन्म से ही एक व्यक्ति के साथ जुड़ी रहती हैं

अन्य पिछड़ा वर्ग

  • भारत में सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़ी जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल किया जाता है इसमें वे लोग थे जो ना तो बहुत ऊंची जाति से संबंधित है और ना ही अत्यंत नीचे जाती है परंतु यह लोग थे जो सामान्य गरीब जीवन जी रहे थे एवं आर्थिक और शैक्षणिक रूप से कमजोर थे
  • अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन सबसे पहले काकासाहेब कालेलकर की अध्यक्षता में किया गया इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट 1953 में पेश की
  • परंतु उस दौर की परिस्थितियों को देखते हुए इस पर आगे विचार नहीं किया गया
  • देश में आपातकाल लगाए जाने के बाद फिर एक बार अन्य पिछड़ा वर्ग के अधिकारों की मांग उठी इसी दौर में बीपी मंडल की अध्यक्षता में दूसरा पिछड़ा वर्ग आयोग नियुक्त किया गया
  • इनकी सिफारिशों को संविधान के 93 संशोधन में शामिल किया गया और अन्य पिछड़ा वर्ग को उच्च शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण प्रदान किया गया

अस्पृश्यता

  • अस्पृश्यता या छुआछूत भारतीय जाति व्यवस्था का सबसे बुरा पहलू है इसके अंतर्गत किसी एक विशेष समुदाय को दूषित माना जाता था एवं उन्हें छूना भी पाप समझा जाता था
  • इन समुदायों का जातियों के क्रम में कोई हिस्सा नहीं होता था
  • यह समाज से बिल्कुल अलग हुआ करते थे वह लोग जिन्हें आसपास के समझा जाता था उन्हें समाज से बहिष्कार अनादर और शोषण के अलावा और कुछ नहीं मिलता था

अस्पृश्यता के आयाम

  • सामाजिक बहिष्कार अनादर शोषण
  • गांधी जी द्वारा इन लोगों को हरिजन कहा गया था हरिजन का अर्थ होता है भगवान हरि के लोग
  • देश में अस्पृश्यता को खत्म करने के लिए भारतीय संविधान द्वारा अस्पृश्यता पर प्रतिबंध लगा दिया गया है
  • भारतीय संविधान का यह अधिनियम 1 जून 1955 से प्रभावी है

जनजातियां

  • देश में विकास की प्रक्रिया के दौरान सबसे ज्यादा नुकसान जनजातियों को हुआ है इस वजह से इन्हें प्रतिस्थापन का सामना करना पड़ा जिससे इन जनजातियों की संस्कृति और समुदाय पूरी तरह से बिखर गए

भेदभाव खत्म करने के लिए उठाए गए कदम

  • भारतीय समाज में जाति और जनजातियों के साथ किए जा रहे भेदभाव को खत्म करने के लिए अनेकों कदम उठाए गए
  • अनुसूचित जाति एवं जनजातियों के लिए राज्यों के विधान मंडलों में आरक्षण किया गया
  • सरकारी नौकरियों में जातियों एवं जनजातियों के लोगों को आरक्षण दिया गया
  • भारत सरकार अधिनियम 1955 के तहत अस्पृश्यता को अपराध घोषित किया गया
  • 1989 में अनुसूचित जाति व जनजाति अस्पृश्यता उन्मूलन कानून को लागू किया गया
  • भारतीय संविधान के 93 संशोधन द्वारा देश में अन्य पिछड़ा वर्ग को उच्च शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण दिया गया
  • अन्य पिछड़ा वर्ग में वे लोग शामिल थे जो देश में आर्थिक या शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए थे

स्त्रियों के अधिकार

  • कई लोगों द्वारा यह तर्क दिया जाता है कि स्त्री और पुरुष में असमानता प्राकृतिक है परंतु यह तर्क पूरी तरह से गलत है क्योंकि अगर यह समानता प्राकृतिक होती तो क्यों कुछ महिलाएं समाज में फिर से स्थानों तक पहुंच जाते हैं
  • दुनिया में कई ऐसे देश और समाज भी है जहां पर महिलाओं की सत्ता चलती है और वहां पर महिलाएं कुशलतापूर्वक इस कार्य को करते हैं
  • यदि प्राकृतिक रूप से महिलाएं अयोग्य हैं तो वह किस प्रकार सफलतापूर्वक कृषि और व्यापार कर पाती हैं
  • तो इन सभी आधारों पर कहा जा सकता है कि स्त्री और पुरुष में समानता समाज की देन है ना की प्रकृति की
  • इस तरह से स्त्री और पुरुष में भेदभाव करना पूर्ण रूप से गलत है

स्त्रियों की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए चलाए गए आंदोलन

  • राजा राममोहन राय ने देश में प्रचलित सती प्रथा और बाल विवाह का विरोध किया और उन्होंने विधवा विवाह का समर्थन किया
  • ज्योतिबा फुले ने देश में जाति और लिंग के आधार पर स्त्रियों के साथ हो रहे अत्याचारों का खुलकर विरोध किया
  • सर सैयद अहमद खान ने इस्लाम में सामाजिक सुधारों को बढ़ावा देने के लिए लड़कियों के स्कूल जाने की सिफारिश की
  • दयानंद सरस्वती जी ने नारियों की शिक्षा में योगदान दिया
  • रानाडे ने विधवा पुनर्विवाह पर जोर दिया
  • ताराबाई शिंदे ने स्त्री पुरुष तुलना लिखी इसमें यह दर्शाया गया है कि किस तरीके से समाज में पुरुष को गलत तरीके से ऊंचा दर्जा दिया गया है
  • बेगम रुकैया हुसैन ने सुल्तान ड्रीम नामक एक किताब लेके जिसमें उन्होंने समाज में हर लिंग को बराबर का अधिकार देने की सिफारिश की
  • 1970 में महिलाओं से संबंधित कई आंदोलन हुए जिसमें बलात्कार दहेज एवं हत्या जैसे मुद्दों पर महिलाओं ने खुलकर बात की

विकलांगता अक्षमता

  • विकलांग या अक्षम व्यक्ति उसे कहा जाता है जो शारीरिक या मानसिक रूप से बाधित होने की वजह से समाज के अनुसार अपनी जरूरतों को पूरा नहीं कर सकते
  • वर्तमान में विकलांग या अक्षम लोगों के लिए दिव्यांग शब्द का उपयोग किया जाता है
  • जब किसी दिव्यांग व्यक्ति के सामने समस्याएं खड़ी होती है तो यह मान लिया जाता है कि यह सभी उसकी कम दूरी का नतीजा है अर्थात उस व्यक्ति को उन सब के लिए जिम्मेदार ठहराया जाने लगता है जोकि पूरी तरह से गलत है
  • गरीबी और दिव्यांगता के बीच एक निकट संबंध देखा जा सकता है क्योंकि गरीबी के कारण ही कई महिलाएं कुपोषण का शिकार होते हैं जिस वजह से वह दुर्लभ बच्चे को जन्म देती है और भविष्य में वह बच्चा दिव्यांग श्रेणी में शामिल हो जाता है
  • सरकार द्वारा कई स्तरों पर दिव्यांगों की सहायता के लिए अनेकों कार्यक्रम चलाए जाते हैं
  • इन्हें शिक्षा एवं व्यवसाय के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है ताकि यह भी सामान्य लोगों की तरह जीवन व्यतीत कर सकें
  • सरकार कई ऐसे जागरूकता कार्यक्रम भी चलाती है जिससे लोग दिव्यांग लोगों को भी समाज में बराबर का दर्जा दे और उन्हें स्वीकार करें

 


Spread the love

Tags:

Comments are closed