पाठ – 3
भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ
इस पोस्ट में क्लास 12 के नागरिक सास्त्र के पाठ 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ (The Story of Indian Democracy) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं नागरिक सास्त्र विषय पढ़ रहे है।
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Sociology |
Chapter no. | Chapter 3 |
Chapter Name | भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ (The Story of Indian Democracy) |
Category | Class 12 Sociology Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
Table of Content
1. पाठ – 3
2. भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ
2.1. लोकतंत्र
2.1.1. प्रत्यक्ष लोकतंत्र
2.1.2. प्रतिनिधिमूलक लोकतंत्र
2.2. लोकतंत्र के केंद्रीय मूल्य
2.3. भारत एवं लोकतंत्र
2.4. भारतीय संविधान
2.5. संविधान सभा का गठन
2.6. चर्चाएं
2.7. आदिवासी और उनके अधिकार
2.8. दलित
2.9. भारतीय संविधान
2.10. पंचायती राज
2.11. पंचायत के कार्य
2.12. जनजातीय क्षेत्रों में पंचायती राज
2.13. लोकतंत्रीकरण और समानता
2.14. राजनीतिक दल
2.15. दबाव समूह
3. More Important Links
लोकतंत्र
- लोकतंत्र जनता का, जनता के द्वारा, जनता के लिए शासन है
- दूसरे शब्दों में समझें तो लोकतंत्र एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें सामान्य जनता द्वारा स्वयं या फिर जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा शासन व्यवस्था चलाई जाती है
- लोकतंत्र को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जा सकता है
प्रत्यक्ष लोकतंत्र
-
- इस प्रकार की व्यवस्था में सभी नागरिक सामाजिक निर्णय की प्रक्रिया में स्वयं भाग लेते है
- इस प्रकार की व्यवस्था ऐसे क्षेत्रों में प्रभावी है जहां जनसंख्या कम होती है
प्रतिनिधिमूलक लोकतंत्र
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- इस प्रकार के लोकतंत्र में सभी नागरिक चुनाव द्वारा अपने प्रतिनिधियों को चुनाव करते है और वह प्रतिनिधि शासन व्यवस्था का संचालन करते हैं
लोकतंत्र के केंद्रीय मूल्य
- लोकतंत्र कोई नयी विचारधारा नहीं है यह एक लंबे समय से विश्व में स्थित है
- लोकतांत्रिक व्यवस्था के उदाहरण कई प्राचीन क्षेत्रों एवं कहानियों में देखे जा सकते हैं
- वर्तमान लोकतंत्र आधुनिक विचारों और परंपरागत विचारों का मिला जुला रूप है
भारत एवं लोकतंत्र
- भारत में लोकतंत्र के विचार की शुरुआत आजादी के पहले से ही हो जाती हैं
- 1931 में हुए कराची अधिवेशन में सर्वप्रथम पूर्ण स्वराज की मांग की गई
- यही से भारत में लोकतांत्रिक विचारधारा और मानव अधिकारों का प्रभाव बढ़ा
- आजादी के बाद भारत में प्रतिनिधिमूलक लोकतंत्र को अपनाया गया और चार विभिन्न स्तरों पर शक्तियों का विभाजन किया गया
- केंद्रीय स्तर पर संसद
- राज्य के स्तर पर विधानसभा
- क्षेत्रीय स्तर पर शहरों में नगर निगम
- क्षेत्रीय स्तर पर गांवों में पंचायती राज
भारतीय संविधान
- भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है
- इसे बनाने की शुरुआत 1946 में की गई थी और 1949 के अंत में जाकर इसका कार्य पूरा हुआ
- भारतीय संविधान को बनने में लगभग 2 साल 11 महीने और 18 दिन का समय लगा
- इसे बनाने में लगभग 64 लाख का खर्चा किया गया
- भारतीय संविधान में भारतीय शासन व्यवस्था, राज्य और केंद्र के संबंधों एवं राज्य के मुख्य अंगों के कार्यों का वर्णन किया गया है
- भारतीय संविधान का निर्माण देश निर्माण के सबसे महत्वपूर्ण कार्य में से एक था
- भारतीय संविधान का निर्माण जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जैसे बड़े-बड़े नेताओं द्वारा किया गया था
संविधान सभा का गठन
- भारतीय संविधान सभा का गठन कैबिनेट मिशन द्वारा दिए गए प्रस्ताव द्वारा हुआ
- इसके अंतर्गत संविधान सभा में कुल 389 सदस्यों को चुना गया इसमें से 296 सदस्य ब्रिटिश भारत से चुने गए एवं 93 सदस्य देसी रियासतों से चुने गए
- देश में हर प्रांत और रियासतों में सीटों का बंटवारा वहां की जनसंख्या के अनुपात के अनुसार किया गया
- चुनावों में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया और वह लगभग सभी क्षेत्रों में बहुमत में रही
- मुस्लिम लीग ने संविधान सभा का बहिष्कार किया और अपने लिए अलग देश पाकिस्तान की मांग जारी रखी
- भारतीय संविधान सभा में लगभग 82% सदस्य कांग्रेस पार्टी के थे
चर्चाएं
- भारतीय संविधान सभा में हर विषय पर गंभीरता से चर्चा की गई
- वैसे तो संविधान सभा में कांग्रेस का बहुमत था परंतु कांग्रेस के अंदर ही अलग-अलग विचारधाराओं के नेता मौजूद थे
- कांग्रेस में कई नेता ऐसे थे जो समाजवाद से प्रेरित थे
- कुछ नेताओं पर सांप्रदायिक दलों का प्रभाव था
- इसके विपरीत कुछ नेता पूर्ण रूप से धर्मनिरपेक्ष थे
- इस तरह कांग्रेस के अंदर भी अलग अलग विचारधारा को मानने वाले लोग थे जिस वजह से संविधान सभा में हर विषय पर गंभीर चर्चाएं हुई
- इन सभी चर्चाओं में देश की आम जनता का भी गहरा प्रभाव था क्योंकि संविधान सभा में हो रही हर चर्चा को अखबारों में प्रकाशित किया जाता था और प्रेस में इनकी आलोचना एवं समर्थन किया जाता था इस प्रकार सामान्य जनता का भी संविधान सभा के निर्णयों पर प्रभाव हुआ करता था
आदिवासी और उनके अधिकार
- मुख्य आदिवासी नेता जयपाल सिंह जी ने संविधान सभा में कहा कि आदिवासी संख्या के आधार पर अल्पसंख्यक नहीं है परंतु उन्हें संरक्षण की आवश्यकता है
- शुरू से ही उन्हें संसाधनों से वंचित रखा गया है
- उन्हें आदिम और पिछड़ा मानते हुए समाज ने उनकी उपेक्षा की है
- जिस वजह से वह पिछड़ा हुआ जीवन जीने के लिए मजबूर है ऐसे में उन्हें मुख्यधारा में शामिल करना और अधिकार उपलब्ध करवाना अत्यंत आवश्यक है
दलित
- संविधान सभा में दलितों के विषय पर लंबी बहस हुई
- राष्ट्रीय आंदोलनों के दौरान डॉ भीमराव अंबेडकर द्वारा दलित जातियों के लिए पृथक निर्वाचन क्षेत्रों की मांग की गई जिसका महात्मा गांधी ने विरोध किया और कहा कि ऐसा करने से दलित समुदाय बाकी समाज से पूरी तरह से कट जाएगा
- जै अंगप्पा ने कहा कि हरिजन अल्पसंख्यक नहीं है परंतु समाज के अन्य वर्गों द्वारा उन्हें हमेशा संसाधनों और राजनीतिक शक्ति से दूर रखा गया है जिस वजह से वह हमेशा पीड़ा का शिकार रहे हैं ना तो उन्हें शिक्षा के अवसर दिए गए ना ही शासन में साझेदारी दी गई
- इन सब तर्कों को सुनते हुए संविधान सभा में यह सुझाव दिया गया कि
- अस्पृश्यता का उन्मूलन किया जाएगा
- हिंदू मंदिरों को सभी जातियों के लिए खोल दिया जाएगा
- निचली जातियों के लोगों को विधायिका और सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया जाएगा
भारतीय संविधान
- भारतीय संविधान का निर्माण 26 नवंबर 1949 को पूरा हुआ
- इसे बनाने में लगभग 2 साल 11 महीने और 18 दिन का समय लगा और लगभग 64 लाख खर्च किए गए
- 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया
- इस तरह लंबी चर्चाओं और अनेकों समस्याओं के बाद भारत का संविधान बनकर तैयार हुआ
पंचायती राज
- भारत में क्षेत्रीय शासन व्यवस्था को और मजबूत बनाने के लिए पंचायती राज की शुरुआत की गई
- 1992 में भारतीय संविधान के 73वें एवं 74वें संशोधन द्वारा पंचायती राज व्यवस्था को भारतीय संविधान में शामिल किया गया
- 74 वें संशोधन द्वारा महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों का आरक्षण किया गया और एक तिहाई सीटों में से 17 प्रतिशत सीटों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया
- पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत गांव का प्रत्येक 18 साल से ऊपर का व्यक्ति वोट देता है और पंचों का चुनाव करता है
- यह सभी पंच मिलकर ग्राम पंचायत का निर्माण करते हैं और इस ग्राम पंचायत के मुखिया को सरपंच कहा जाता है
पंचायत के कार्य
- आर्थिक विकास के लिए योजनाएं और कार्यक्रम बनाना
- सामाजिक न्याय और सामाजिक कल्याण को प्रोत्साहित करने वाले कार्यक्रमों को बढ़ावा देना
- शुल्क, यात्री कर, जुर्माना और अन्य प्रकार के कर लगाना एवं एकत्रित करना
जनजातीय क्षेत्रों में पंचायती राज
- आदिवासी क्षेत्रों के एक बड़े हिस्से को संविधान के 73वें संशोधन से बाहर रखा गया ऐसा शायद इसलिए किया गया क्योंकि उस दौर में नीतियां बनाने वाले पारंपरिक राजनीतिक संस्थाओं में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते थे
- उदाहरण के लिए अगर देखें तो मेघालय में स्थित गारो, खासी और जयंतिया तीनों आदिवासी जातियों में उनकी अपनी पुरानी राजनीतिक संस्थाएं रही है और कुशलता से कार्य कर रही है
- उदाहरण के लिए खासी की राजनीतिक प्रणाली में प्रत्येक वंश की अपनी एक परिषद होती थी जिसे ‘दरबार कुर’ कहा जाता था और यह वंश के मुखिया के निर्देशन में काम करती थी
लोकतंत्रीकरण और समानता
- लोकतांत्रिक व्यवस्था होने के बावजूद भी भारत में बड़े स्तर पर असमानता को देखा जा सकता है
- यह असमानता मुख्य रूप से जाति, धर्म, रंग और सांस्कृतिक आधार पर मौजूद है
- अलग-अलग व्यक्तियों के अलग-अलग समूह समुदायों और जातियों से संबंधित होने के कारण असमानता को बल मिलता है
राजनीतिक दल
- एक समान राजनीतिक विचारधारा और उद्देश्य वाला एक संगठन राजनीतिक दल कहलाता है
- इस संगठन का मुख्य उद्देश्य सरकारी शक्ति प्राप्त कर उसका अपनी विचारधारा के अनुसार प्रयोग करना होता है
दबाव समूह
- जब समाज के कुछ वर्गों को ऐसा लगता है कि उनकी मांगों और हितों को स्वीकारा नहीं जा रहा है तो वह एक समूह का निर्माण करते हैं और राजनीतिक दल पर दबाव बनाने का कार्य करते हैं इन्हें ही दबाव समूह कहा जाता है
- यह समाज में ऐसे वर्गों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो राजनीतिक रूप से सशक्त नहीं है और यह मानते हैं कि राजनीतिक व्यवस्था द्वारा उनकी आवश्यकता पूरी नहीं हो पा रही है
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