Chapter – 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन प्राकृतिक संसाधन वे संसाधन जो हमें पृकृति ने दिए हैं और जो जीवों के द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं| प्राकृतिक संसाधनों का उदाहरण मिटटी, जल, कोयला, पेट्रोलियम, वन्य जीव और वन इत्यादि| प्रदूषण प्राकृतिक संसाधनों का दूषित होना प्रदुषण कहलाता है| प्रदुषण के प्रकार : जल प्रदुषण [...]
Chapter – 15 हमारा पर्यावरण   जैव-भौगोलिक रासायनिक चक्रण इन चक्रों में अनिवार्य पोषक तत्व जैसे – नाइट्रोजन, कार्बन, ऑक्सीजन एवं जल एक रूप से दुसरे रूप में बदलते रहते है| उदाहरण : नाइट्रोजन चक्र में नाइट्रोजन वायुमंडल में विभिन्न रूपों में एक चक्र बनाता है| कार्बन चक्र :- में कार्बन वायुमंडल के विभिन्न भागों [...]
Chapter – 14 उर्जा के स्रोत ऊर्जा संरक्षण का नियम ऊर्जा संरक्षण के नियम के अनुसार ऊर्जा का नहीं तो सृजन किया जा सकता है और नहीं इसका विनाश किया जा सकता है, इसे सिर्फ एक रूप से दुसरे रुप में रूपांतरित किया जा सकता है| मुख्य बिंदु :- किसी भौतिक अथवा रासायिनक प्रक्रम के [...]
Chapter – 13 विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव   चुम्बक के ध्रुव उत्तर दिशा की ओर संकेत करने वाले सिरे को उत्तरोमुखी ध्रुव अथवा उत्तर ध्रुव कहते हैं। दूसरा सिरा जो दक्षिण दिशा की ओर संकेत करता है उसे दक्षिणोमुखी ध्रुव अथवा दक्षिण ध्रुव कहते हैं। चुम्बकीय क्षेत्र :- एक मैगनेट के चारों के क्षेत्र [...]
Chapter – 12 विद्युत विद्युत आवेश घर्षणीक विद्युत :- रगड़ या घर्षण से उत्पन्न विद्युत को घर्षणीक विद्युत कहते हैं| विद्युत आवेश :- विद्युत आवेश दो प्रकार के होते हैं| 1. धन आवेश :- कांच कि छड को जब रेशम के धागे से रगडा जाता है तो इससे प्राप्त आवेश को धन आवेश कहते हैं| [...]
Chapter – 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार मानव नेत्र के विभिन्न भाग एवं उनके कार्य दृढ़ पटल :- मनुष्य का नेत्र लगभग एक खोखले गोले के समान होता है। इसकी सबसे बाहरी पर्त अपारदर्शी, श्वेत तथा दृढ़ होती है। इसे दृढ़ पटल कहते हैं। इसके द्वारा नेत्र के भीतरी भागों की सुरक्षा होती है। [...]
Chapter – 10 प्रकाश – परावर्तन एवं अपवर्तन हम किसी वस्तु को कैसे देख पाते है वस्तु पर पड़ने वाले प्रकाश को वस्तु परावर्तित कर देती है, यह परावर्तित किरण जब हमारी आँखों के द्वारा ग्रहण किया जाता है तो यह परावर्तन वस्तु को आँखों के द्वारा देखने योग्य बनाता है| प्रकाश की किरण :- [...]
Chapter – 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास आनुवंशिकी “जीव विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत आनुवांशिक लक्षणों के संतान में पहुंचने की रीतियों एवं आनुवंशिक समानता एवं विभिन्नताओं का अध्ययन करते हैं आनुवंशिक विज्ञान या आनुवंशिकी कहलाती है।” आनुवंशिकता जीवों में प्रजनन के द्वारा संतान उत्पन्न करने की अद्भुत क्षमता होती है। संतानों में कुछ [...]
Chapter – 8 जीव जनन कैसे करते हैं जनन जनन द्वारा कोई जीव (वनस्पति या प्राणी) अपने ही सदृश किसी दूसरे जीव को जन्म देकर अपनी जाति की वृद्धि करता है। जन्म देने की इस क्रिया को जनन कहते हैं। जनन जीवितों की विशेषता है। जीव की उत्पत्ति किसी पूर्ववर्ती जीवित जीव से ही होती [...]
Chapter – 7 नियंत्रण एवं समन्वय परिचय संसार के सभी जीव अपने आस – पास होने वाले परिवर्तनों के प्रति-अनुक्रिया करते है| पर्यावरण में प्रत्येक परिवर्तन की अनुक्रिया से एक समुचित गति उत्पन्न होती है| कोई भी गति उस घटना पर निर्भर करती है जो उसे प्रेरित करती है| जैसे- हम गरम वस्तु को छूटे [...]