पाठ – 5 किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया -शमशेर बहादुर सिंह सारांश इस कहानी के लेखक शमशेर बहादुर सिंह जी हैं।इस कहानी में लेखक ने अपने जीवन के उन तमाम घटनाक्रमों का जिक्र किया है जिसके फलस्वरूप उन्होंने हिंदी साहित्य जगत में कदम रखा और हिन्दी लेखन कार्य आरंभ किया और खूब सारी [...]
पाठ – 4 माटी वाली -विद्यासागर नौटियाल सारांश टिहरी में भागीरथी नदी पर बहुत बड़ा बाँध बना है जिसमें पूरा टिहरी शहर और उसके पास के अनेक गाँव डूब गए। पहले जो लोग अपने घरो, व्यापारियों से जुड़े थे उनके सामने अचानक विस्थापित होने का संकट उपस्थित हो गया।’ माटी वाली ‘कहानी भी इसी विस्थापन [...]
पाठ – 3 रीढ़ की हड्डी -जगदीशचन्द्र माथुर सारांश “रीड की हड्डी” कहानी की शुरुआत कुछ इस तरह से होती हैं। उमा एक पढ़ीलिखी शादी के योग्य लड़की हैं जिसके पिता रामस्वरूप उसकी शादी के लिए चिंतित हैं। और आज उनके घर लड़के वाले (यानि बाबू गोपाल प्रसाद जो पेशे से वकील हैं और उनका [...]
पाठ – 2 मेरे संग की औरतें -मृदुला गर्गजी सारांश प्रस्तुत संस्मरण लेखिका मृदुला गर्ग द्वारा लिखा गया है। इसमें लेखिका ने अपने परिवार की औरतों के व्यक्तित्व और स्वभाव पर प्रकाश डाला है। लेखिका ने अपनी नानी के बारे में बहुत कुछ सुन रखा था। लेखिका की नानी अनपढ़, परंपरावादी और पर्दा-प्रथा वाली औरत [...]
पाठ – 1 इस जल प्रलय में – फणीश्वर नाथ रेणु सारांश जल प्रलय में’ फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखित रिपोर्ताज है, जिसमें उन्होंने सन 1975 ई० में पटना में आई प्रलयंकारी बाढ़ का आँखों देखे हाल का वर्णन किया है। लेखक का गाँव एक ऐसे क्षेत्र में था, जहाँ की विशाल और परती ज़मीन पर [...]